कहा जाता है कि अगर शकुनि मामा नहीं होते तो शायद महाभारत की लड़ाई नहीं होती.



शकुनि मामा ने कौरवों के मन में पांडवों के प्रति नफरत का बीज बोया था.



शकुनि मामा ने पांडवों के खिलाफ जुएं का पासा चल सबकुछ कौरवों के हित में कर दिया था.



शकुनि मामा के खेले जुएं की वजह से ही महाभारत का युद्ध हुआ था.



शकुनि अपनी बहन गांधारी का विवाह धृतराष्ट्र के साथ नहीं होने देना चाहता था.



भीष्म पितामह के दबाव में गांधारी की शादी धृतराष्ट्र से करनी पड़ गई थी.



एक बार भीष्म पितामह ने शकुनि और उसके पूरे परिवार को जेल में डाल दिया था.



सभी को बस इतना खाना दिया जाता था कि वह तड़प-तड़पकर मर जाएं.



शकुनि के पिता ने दिमाग लगाया और सबसे चतुर शकुनि को सारा खाना मिलने लगा.



इस तरह सारे भाइयों और पिता ने जान देकर शकुनि को बचाया था.



जिससे वह भीष्म पितामह से बदला ले सके.



शकुनि के पिता ने अपनी अंगुलियों से बना चौसर शकुनि को दिया था.



यह एक तरह से चमत्कारी पासा था.



पिता की अंगुलियों से बने इसी पासे की मदद से शकुनि ने पांडवों को हराया था.



इसके बाद महाभारत का युद्ध हुआ था.