आज से हजारों वर्ष पहले, द्वापरयुग में महाभारत का युद्ध हुआ.



यह युद्ध साधारण युद्ध नहीं था क्योंकि इसमें स्वयं विष्णु अवतार कृष्ण सम्मिलित थे.



इसी युद्ध के समय वेदों का सार कही जाने वाली गीता का उपदेश दिया गया.



इस युद्ध में इतना कुछ था जिसकी गुत्थी आज तक नहीं सुलझाई जा सकी थी.



आइए जानते है कि महाभारत की असली कहानी क्या है?



महाभारत द्वापरयुग में भाइयों के मध्य सम्पत्ति के लिए लड़ा गया युद्ध था.



एक ओर धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र कौरव थे.



वहीं दूसरी ओर पांडु और कुंती तथा माद्री से उत्पन्न पाँच पुत्र पांडव थे.



कौरवों का पक्ष अधर्म का था एवं पांडवों का पक्ष धर्म का कहा गया है.



कौरवों ने पांडवों को न केवल वनवास भेजा बल्कि उन्हें मारने की भी योजनाएं बनाईं.



किन्तु पांडवों का पक्ष धर्म का था एवं धर्म के साथ परमात्मा होते हैं सो वे बचते रहे.



पांडवों का महल देखते समय द्रौपदी के दुर्योधन पर उपहास ने



उसे उस स्थिति पर ला खड़ा किया



कि गुरुजनों के मध्य पांडवों को छल से जुए के खेल में हराया एवं द्रौपदी को निर्वस्त्र करने की घटना रची गई.



इसके बाद आरम्भ हुई युद्ध की भूमिका एवं रचा गया इतिहास का सबसे बड़ा महायुद्ध- महाभारत.