कुछ इस्लामिक देशों में शरिया-कानून के तहत मामूली जुर्म पर भी सजा-ए-मौत का प्रावधान है. शिया बहुल ईरान, जहां काफी समय से हिजाब विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं..वहां सैकड़ों लोगों को फांसी दे दी गई.



ईरान ऐसा देश है जहां की सरकार अपने खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को रोकने के लिए लोगों को मौत का खौफ दिखाती है. लोगों को सरेआम फांसी दी जाती है.



ईरान पर नजर रखने वाले मानवाधिकार संगठनों के अनुसार, ईरान ने 2022 में 582 लोगों को मौत की सजा दी. यहां हिजाब-विरोधी प्रदर्शनों के बीच एक साल में मौत की सजा 75% तक बढ़ गई है.



2022 में ईरान ने एक ही दिन में 12 कैदियों को फांसी दे दी थी. उनमें 11 पुरुष और 1 महिला कैदी शामिल थे. वे सभी बलूचिस्तान के रहने वाले थे.



यहां 4 लोगों को केवल हिजाब विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने के आधार पर फांसी दे दी गई.



एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, ईरान में 9 साल की उम्र पार करने के बाद लड़कियों को मौत की सजा दी जा सकती है. और, लड़कों के लिए ये उम्र 15 साल है.



2022 से पहले साल 2015 में भी ईरान में 333 लोगों को मौत की सजा दी गई थी. ऐसे में मौत की सजा का खौफ वहां के समाज में हमेशा रहता है.