वर्शिप एक्ट के सेक्शन 2,3 और 4 क्या हैं?

Published by: एबीपी न्यूज़ डेस्क
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प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट साल 1991 में बनाया गया था और इसे बनाने का मकसद देश में पूजा स्थलों से जुड़े विवाद को रोकना था.

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वर्शिप एक्ट को चुनौती देने के लिए कई लोगों ने याचिका दाखिल की हैं, जिन पर गुरुवार (12 दिसंबर 2024) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

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याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने एक्ट के सेक्शन 3 और 4 को रद्द करने की मांग की है. आइए जानते हैं ये क्या हैं

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प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त, 1947 के वक्त जो धार्मिक स्थल जैसा था वैसा ही रहेगा. इसका सेक्शन 3 धार्मिक स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से बदलने की अनुमति नहीं देता है.

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सेक्शन 3 में प्रावधान है कि किसी भी धर्म के पूजा स्थल को न तो दूसरे धर्म में बदला जाए या एक ही धर्म के अलग खंड में भी परिवर्तित न किया जाए.

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वर्शिप एक्ट का सेक्शन 4(1) कहता है कि 15 अगस्त 1947 के वक्त जिस धार्मिक स्थल का चरित्र जैसा था वैसा ही रहेगा. सेक्शन 4(2) आजादी के समय के धार्मिक स्थलों को बदलने के लिए कोई भी मुकदमा चलाने या अन्य कानूनी कार्यवाही से भी रोकता है.

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वर्शिप एक्ट का सेक्शन 5 कहता है कि यह रामजन्मभूमि-बाबरी विवाद और इससे जुड़े किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं होता है.

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अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि वर्शिप एक्ट हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदायों को उनके ऐतिहासिक स्थल वापस लेने से और दावा करने से रोकता है.

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साल 1991 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में वर्शिप एक्ट लाया गया था. उस समय राममंदिर-बाबरी विवाद चरम पर था और देश के अन्य हिस्सों में भी मंदिर-मस्जिद विवाद सामने आने लगे था, जिससे माहौल काफी गरमा गया था. इसे रोकने के लिए कानून लाया गया था.

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