भारत को गुलाम बनाने वाला ब्रिटेन अपने स्कूलों में बच्चों को क्या पढ़ाता है? क्या वहां भी बच्चे वही इतिहास पढ़ते हैं जो भारतीयों ने पढ़ा है आइए जानते हैं



ब्रिटेन में कॉलोनियल इंडिया के बारे में लोग आज भी ताजमहल और महात्मा गांधी के नाम तक ही सीमित हैं



भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का क्या असर हुआ इसकी असलियत बच्चों को स्कूलों में नहीं पढ़ाई जाती है. बच्चों के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद का सब्जेक्ट ऑप्शनल है यानी अगर कोई चाहे तो पढ़ सकता है लेकिन ये कंपलसरी नहीं है



19वीं शताब्दी के आखिर में स्कूलों में ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में पढ़ाया जाता था, लेकिन सिर्फ तारीफें की जाती थीं. ये देश ब्रिटिश साम्राज्य से आजाद क्यों और कैसे हुआ, ये सब नहीं बताया जाता था. फिर सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद लेफ्ट पॉलिटिक्स का ब्रिटेन में उदय हुए और साम्राज्यवाद पर एकतरफा बातों का उन्होंने विरोध किया



ये देश ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कैसे हुए इसका जिक्र किताबों में नहीं होता था. जैसे 'वर्ल्ड एट हॉम' नाम की किताब में चीन ब्रिटेन के बीच हुए ऑपियम वॉर या अफीम युद्ध के लिए भारत को ही जिम्मेदार ठहराया गया है



ब्रिटिश स्कूलों में टीचर पढ़ाते हुए ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में बढ़ा चढ़ा कर बताते हुए कहते थे कि हम नहीं होते तो ये देश विकसित कैसे होते. धीरे-धीरे साम्राज्यवाद पर पढ़ाना बंद हो गया



फिर साल 1960 में ब्रिटिश पीएम मारग्रेट थैचर ने नेशनल कैरिकुलम तैयार करवाया इसमें भी ब्रिटिश एम्पायर की पूरी सच्चाई नहीं थी इसलिए लेफ्ट ने इसका विरोध किया. फिर 2013 में इसे रिवाइज किया गया और बच्चों के लिए इसे पढ़ना ऑप्शनल कर दिया गया



सिलेबस की एक किताब पावर इंडस्ट्री एंड एंपायर ब्रिटेन 1745 टू 1901 इस नाम से कॉलोनियल इंडिया को भी शामिल किया गया है



ब्रिटेन के स्कूलों में भारतीय मूल के छात्रों की मांग है कि उन्हें जलियांवाला बाग कांड, 1857 की क्रांति, बंगाल का अकाल और बंटवारे के बारे में पढ़ाया जाए



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