तैमूर लंग का नाम इतिहास में एक क्रूर शासक के तौर पर दर्ज है. उसने जब दिल्ली पर जीत हासिल की तो वह सिर्फ 15 दिन यहां रहा, लेकिन इस दौरान ऐसा कोहराम मचाया कि दिल्ली को फिर से पनपने में सौ साल लग गए



इतिहासकार जस्टिन मोरज्जी के अनुसार तैमूर लंग की सेना ने दिल्ली में लूटपाट, कत्ल-ए-आम और महिलाओं के साथ बहुत बदसलूकी की



तैमूर की दिल्ली पर जीत के बाद मंगोलों ने खूब आतंक मचाया और जो लोग उसके खिलाफ थे उनको चुन-चुन कर मारा



मंगोलों की सेना औरतों से बदसलूकी करती, लोगों का रुपया पैसा और अनाज लूटती, जो भी व्यक्ति इसका विरोध करता उसे मार दिया जाता



बताया तो यहां तक जाता है कि तैमूर लंग ने दिल्ली में हिंदुओं को ढूंढ-ढूढ कर मार डाला. लोग जान बचाने के लिए मस्जिद में जा छुपे कि वे यहां सुरक्षित हैं, लेकिन मंगोलो ने किसी को नहीं बख्शा



ये बात साल 1398 की है जब तैमूर को भारत की दौलत के बारे में पता चला और उसके मन में लालच आ गया. वह मध्य एशिया में ईरान और इराक तक लूट मार करके दिल्ली सल्तनत को लूटने भारत आया



साल 1388 में दिल्ली के बादशाह फिरोज शाह तुगलक की मौत के बाद तुगलक वंश में राजगद्दी को लेकर लड़ाईयां चल रही थी. तैमूर यह जानता था और उसने इसी मौके का फायदा उठाया



जस्टिन मोरज्जी की किताब 'Tamerlane' के मुताबिक, दिल्ली के बादशाह महमूद शाह के पास 10 हजार घोड़े, 40 हजार सैनिक और 150 हाथियों की सेना थी, जो मंगोलों के सामने छोटी थी



जब दिल्ली के पास तैमूर लंग का काफिला पहुंचा तो महमूद शाह को दिल्ली हारने का डर सता रहा था. इस वजह से उनके वजीर मल्लू खान ने मंगोलों पर सरप्राइज अटैक का प्लान बनाया



तैमूर को इस हमले की जानकारी पहले ही मिल गई और तुगलकों का प्लान फेल हो गया. फिर मंगोलों और तुगलकों का युद्ध हुआ, जिसमें तैमूर ने दिल्ली जीत ली



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