भारत 800 साल पहले कैसा था, इसका जिक्र इतालवी यात्री मार्को पोलो ने अपनी किताब में किया है. चीलों से होने वाली हीरों की खेती और मंत्रों से मोती खोजने की तरकीबों जैसी बातें उन्होंने लिखी हैं



मार्को पोलो लिखते हैं कि भारत के बारे में इतना कुछ है कि लिखने बैठा तो और कुछ लिखने को बचेगा ही नहीं. उन्हें चीन के राजा कुबलई खान ने सुमात्रा, बर्मा और भारत भेजा ताकि वो वहां से जानकारी लाकर उन्हें दें



मार्को ने भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह के बारे में कहा कि यहां कोई राजा नहीं होता. यहां के लोग पत्तों के कपड़े पहनते हैं



आगे उन्होंने लिखा कि कोरोमंडल तट भारत के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है, यहां के लोग तट के पास शोर मचाकर मछलियों को दूर भगा देते हैं. तब मछुआरे पानी में कूदकर मोती बीनकर लाते थे



भारत से मोतियों का बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता और कुल कमाई का 20 फीसदी हिस्सा वहां रहने वाले लोगों के कडलकट्टी समूह को दिया जाता था



मार्को भारत में तमिलनाडु की यात्रा के दौरान यहां के राजा का वैभव देखकर भौचक रह गए



अपने यात्रा व्रतांत में वे लिखते हैं कि भारत के राजा इतने गहने पहनते थे कि लगता था पूरे राज्य की संपत्ति उन्होंने आभूषणों में पहन ली हो



मार्को के मुताबिक दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर हीरों का व्यापार होता था



तमिलनाडु में एक नियम था कि अगर कोई व्यक्ति समय से कर्ज नहीं चुकाता था तो उसे देनदारों के घेरे में कैद कर दिया जाता जब तक की कर्ज वसूल न हो जाए



घेरे के बाहर खड़े लोग स्वतंत्र होते थे वो घेरे में खड़े व्यक्ति से जैसा चाहे वैसा बर्ताव कर सकते थे



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