रोहतक का नाम राजा रोहताश के नाम पर पड़ा जिन्होंने इस शहर की स्थापना की थी

कहा जाता है कि रोहतक का नाम रोहितक पेड़ से लिया गया जिसे संस्कृत में रोहितक कहा जाता है

रोहतक क्षेत्र पहले रोहितक पेड़ों का जंगल था और इसलिए इसका नाम रोहतक पड़ा

महाभारत में 'रोहितक' का उल्लेख मिलता है जो इस इलाके के प्राचीन महत्व को दर्शाता है

अकबर के समय में रोहतक दिल्ली के प्रशासन में शामिल हो गया जब टोडर मल ने उत्तर भारत को विभाजित किया

रोहतक को कई बार मुगलों और सुल्तानों द्वारा जागीर के रूप में दिया गया जिससे इसके शासकों में बदलाव आते रहे

मुगल साम्राज्य के पतन के बाद रोहतक में बार-बार स्वामी बदलते रहे और सत्ता की स्थिति अस्थिर रही

1803 में रोहतक ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आया और इसे उत्तर-पश्चिम प्रांतों में शामिल कर लिया गया

1824 में रोहतक को एक स्वतंत्र जिला बना दिया गया जिसमें गोहाना, बेरी, और भिवानी तहसीलें शामिल थीं

रोहतक जिले की सीमाएं समय-समय पर बदलती रही और इसमें बहादुरगढ़ और झज्जर को जोड़ा गया.