पारसी लोग मरने के बाद अपने प्रियजनों को प्रकृति का गोद में छोड़ देते हैं

पारसी लोगों का ये परम्परा कई दशकों से चली आ रही है

इस टॉवर में लोग मृत लोगों के शव को दफनाया नहीं जाता है

ऐसा इसलिए ताकी उनके शव को बाज, चील और गिद्ध जैसे पक्षी खा सकें

क्योंकि पारसी लोगों का मानना है कि शरीर प्रकृति का दिया उपहार है

इसलिए पारसी लोगों का कहना है कि उसे हमें वैसे ही लौटना पड़ता है

बॉम्बे के पास एक पारसी मंदिर टॉवर ऑफ साइलेंस है

इस टावर का निर्माण लगभग 1955 में हुआ था

मुंबई के मालाबार हिल में भी एक टॉवर ऑफ साइलेंस बना है

जिसमे पारसी लोग अपनों के शव को यहां गिद्ध और बाज के लिए छोड़ देते हैं.