नेटिव मैरिज एक्ट, जिसे भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 के नाम से भी जाना जाता है
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यह एक ऐसा कानून है, जो ईसाई धर्म के मानने वालों के लिए विवाह की वैधता और प्रक्रिया को तय करता है
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यह बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए साल 1872 में नेटिव मैरिज एक्ट पारित किया गया था
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इस एक्ट में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के विवाह को रोक दिया गया था
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इसे वायसराय लॉर्ड नार्थब्रुक (1872-1876) के कार्यकाल के दौरान लागू किया गया था
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वहीं अधिनियम के अनुसार, अगर शादी करने वाले लड़का या लड़की में से कम से कम एक ईसाई है, तो विवाह वैध माना जाता है
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इस अधिनियम ने विशेष रूप से ईसाई विवाहों को संवैधानिक मान्यता देने के लिए बनाया गया था
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इस अधिनियम के अनुसार, महिला बिना किसी धार्मिक समारोह के विवाह कर सकती है, और चर्च ऑफ इंडिया का कोई मंत्री, स्कॉटिश पादरी या विवाह रजिस्ट्रार शादी को पूरा करा सकता है
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इसके साथ ही यह अधिनियम बाल विवाह को रोकने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम था