जवानों में कैसे जोश भरते थे सैम मानेकशॉ?

Published by: एबीपी लाइव
Image Source: @field_marshal_sam

सैम मानेकशॉ को 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारत की शानदार जीत का प्रतीक भी माना जाता है

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सैम का सैन्य जीवन दूसरे विश्व युद्ध से होकर भारत की आजादी के बाद पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुए तीन युद्धों तक चला

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इस दौरान उन्होंने कई रेजिमेंटल, स्टाफ और कमांड कार्य संभाले और 1971 में युद्ध की सफलता के बाद उन्हें फील्ड मार्शल बनाया गया

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सैम मानेकशॉ को सैम बहादुर के नाम से भी जाना जाता है

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सैम को सिर्फ युद्ध की नहीं, बल्कि देश के लिए निष्ठा, मजबूत इरादों और सैनिकों के बीच शानदार नेतृत्व के लिए भी जाना जाता है

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ऐसे में चलिए हम आपको बताते हैं कि सैम मानेकशॉ जवानों में कैसे जोश भरते थे

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सैम मानेकशॉ हमेशा अपने सैनिकों के साथ खड़े रहते थे और कभी किसी को ऐसा काम करने को नहीं कहते थे, जिसे वे खुद करने को तैयार न हों

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सैम मानेकशॉ ने मजबूत नेतृत्व और अडिग अनुशासन पर जोर दिया, जिसके चलते उन्हें अपने सैनिकों से सम्मान और प्रशंसा भी काफी मिलीं

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उन्होंने कभी भी जवानों को कम नहीं समझा और हमेशा उनका सम्मान किया और जवानों में जोश भरने के लिए अपनी रणनीति के बारे में भी बताया

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