जैसे कार या बाइक चलाने के लिए लाइसेंस की जरुरत होती है

वैसे ही ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर को भी लाइसेंस की जरुरत होती है

लेकिन ट्रेन के लिए आम लाइसेंस की तरह परमिशन नहीं मिलती है

क्योंकि ट्रेन ड्राइवर को अलग ट्रेनिंग दी जाती है

इसके लिए रेलवे पहले लोको पायलट के लिए भर्ती निकालता है

जिसका चयन लिखित परीक्षा, इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट के जरिए होता है

इसके बाद ट्रेनिंग में उन्हें ट्रेन के इंजन की बारीकियां समझनी होती हैं

बारीकियां समझने के बाद मंडल इंजीनियर टेस्ट लेता है

टेस्ट पास करने के बाद एक सर्टिफिकेट दिया जाता है

ये सर्टिफिकेट ही उनके लिए लाइसेंस का काम करता है.