पद्म पुराण के अनुसार 84 लाख योनियां होती है. इसमें
मनुष्य योनि को सबसे अच्छा माना जाता है.


मनुष्य को अपने कर्मों के अनुसार अगला जन्म मिलता है.
इस तरह मोक्ष मिलने तक जन्म-मरण का चक्र चलता है.


गुरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति मनुष्य योनि में 4 लाख
बार जन्म लेता है.


मनुष्य योनि में आकर व्यक्ति नीच कर्म करने लगता है तो
उसे पुन: नीचे की योनियों में जन्म मिलने लगता है.


मनुष्य योनि को इसलिए भी अच्छा माना है क्योंकि इसमें
पुण्य करने का अवसर मिलता है, जिससे मोक्ष के द्वार खुलते हैं.


कहते हैं 4 लाख बार मानव योनि में जन्म लेने के बाद पितृ या
देव योनि प्राप्त होती है.


पुराणों में कहा गया है कि मानव योनि में जन्म लेने वाले जब
आत्महत्या करते हैं तो उनकी आत्माएं भटकती हैं.


आत्महत्या करने से जन्म-मरण का चक्र बिगड़ जाता है
और आत्मा को शांति नहीं मिलती.