गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी, गणेश चौथ के नाम से भी जाना जाता है.



धर्मग्रंथों के अनुसार भाद्रपद गणेश चतुर्थी तिथि को चंद्रमा दर्शन नहीं करने चाहिए.



क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन करने से झूठा कलंक लगता है.



श्रीमदभागवत के अनुसार चांद देखने से ही श्रीकृष्ण पर मिथ्या कंलक लगा था.



जब भगवान गणेश को गज का मुख लगाया गया तो वे गजानन कहलाए.



देवताओं ने उनके इस रूप की स्तुति की पर चंद्रमा मंद-मंद मुस्कुराते रहें.



गणेशजी समझ गए कि चंद्रमा अभिमान वश उनका उपहास कर रहे हैं.



क्रोध में आकर भगवान श्रीगणेश ने चंद्रमा को काले होने का श्राप दे दिया.



तब चंद्रदेव ने भगवान गणेश से क्षमा मांगी तो गणेश जी ने कहा कि



सूर्य के प्रकाश को पाकर तुम एक दिन के लिए तुम पूरे हो जाओगे.



इस श्राप के अनुसार जो कोई व्यक्ति चतुर्थी के दिन



चंद्रमा के दर्शन करेगा,उस पर झूठा आरोप लगेगा.