Smoke Detector मुख्यतः दो प्रकार की तकनीकों पर आधारित होते हैं - आयनीकरण डिटेक्टर और ऑप्टिकल (फोटोइलेक्ट्रिक) डिटेक्टर.

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इसमें एक आयनीकरण चेंबर होता है, Americium-241 का उपयोग करता है. धुआं चेंबर में प्रवेश करने पर आयन प्रवाह को बाधित करता है, जिससे अलार्म ट्रिगर होता है.

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Photoelectric Detector

इसमें एक प्रकाश स्रोत और सेंसर होता है. जब धुआं प्रकाश की किरणों को डिफ्लेक्ट करता है, तो सेंसर इसे पहचानकर अलार्म को सक्रिय करता है.

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आयनीकरण डिटेक्टर जल्दी-जलती आग (फ्लेमिंग फायर) का पता लगाने में बेहतर होते हैं, जबकि फोटोइलेक्ट्रिक डिटेक्टर धीमी और धुएं वाली आग के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं.

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ये डिवाइस बैटरी या सीधे विद्युत आपूर्ति से चलते हैं. कई मॉडलों में बैकअप बैटरी होती है.

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जब धुआं डिटेक्टर द्वारा पहचाना जाता है, तो एक तेज ध्वनि अलार्म सक्रिय होता है, जो लोगों को आग की चेतावनी देता है.

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आधुनिक डिटेक्टर स्मार्ट होम सिस्टम से कनेक्ट होकर मोबाइल अलर्ट भी भेज सकते हैं.

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इन्हें छत पर या दीवारों पर ऊंचाई पर लगाया जाता है, जहां धुआं जल्दी पहुंच सके.

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नियमित रूप से टेस्ट बटन दबाकर इसकी कार्यक्षमता जांचनी चाहिए. बैटरी कम होने पर उपकरण बीप साउंड करता है.

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कुछ डिवाइस दोनों तकनीकों (आयनीकरण और फोटोइलेक्ट्रिक) का उपयोग करते हैं, जिससे किसी भी प्रकार की आग का तुरंत पता लगाया जा सकता है.

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