सनातन धर्म के अनुसार इस सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी को माना जाता है.

मत्स्य पुराण में लिखा है कि संसार को आगे बढ़ाने के लिए ब्रह्मा जी ने ही स्वंय को दो भागों में बांट लिया था.

ब्रह्मा जी के शरीर से ‘काया‘ निकली. ‘का’ को पहला भाग और ‘या’ को दूसरा भाग माना गया.

ब्रह्माजी ने दैवीय शक्ति से सबसे पहले मनु और दूसरे भाग में शतरूपा को प्रकट किया. ये संसार के पहले स्त्री-पुरुष थे.

‘स्वयंभवु मनु’ ही संसार के पहले मनुष्य थे. मनु और शतरूपा के संबंध से ही मनाव जाति की उत्पत्ति हुई.

संसार में आने वाला सबसे पहला इंसान मुन था इसलिए इस जाति का नाम मानव पड़ा

मनु एवं शतरूपा के कुल पांच संतानें हुईं थीं जिनमें से दो पुत्र प्रियव्रत एवं उत्तानपाद थे.

इन दोनों की तीन कन्याएं भी थी, जिनका नाम आकूति, देवहूति और प्रसूति था.