यमुना को लेकर जितने दावे किए जा रहे हैं, हकीकत में नदी की हालत उससे कहीं ज्यादा खराब है

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अप्रैल 2025 में नदी में फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 15 लाख एमपीएन/100 एमएल तक पहुंच गया, जबकि मानक सिर्फ 500 है

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डीपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में बताया गया कि 37 में से 16 एसटीपी तय मानकों पर खरे नहीं उतर सके

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नजफगढ़ और शहादरा जैसे बड़े नालों से बिना ट्रीटमेंट वाला सीवेज सीधे यमुना में गिर रहा है

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बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) अप्रैल में 56 मिलीग्राम/लीटर रही है, जो प्रदूषण की गंभीर स्थिति को दर्शाती है

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यमुना नदी में ऑक्सीजन की इतनी कमी है कि अब यहां कोई जीवित प्राणी नहीं रह सकता, जिससे यह नदी लगभग मृत हो चुकी है

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अप्रैल में फॉस्फेट का स्तर भले ही घटा हो, लेकिन औद्योगिक कचरे का असर अब भी साफ दिखाई दे रहा है

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मार्च के मुकाबले अप्रैल में प्रदूषण बढ़ा है, जबकि पिछले साल की तुलना में हालात और भी बिगड़े हैं

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दिल्ली जल बोर्ड के एसटीपी जब तक क्षमता के अनुसार नहीं चलेंगे यमुना की सफाई एक सपना ही रहेगी

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हर महीने के आंकड़े बता रहे हैं कि यमुना की सेहत सुधरने के बजाय और बिगड़ती जा रही है.

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