छतरपुर मंदिर की स्थापना 1974 में कर्नाटका के संत बाबा नागपाल के प्रयासों से हुई थी

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मंदिर परिसर में 70 एकड़ तक फैला हुआ विशाल क्षेत्र है जहां पहले एक साधारण कुटिया हुआ करती थी।

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यहां मां दुर्गा के छठे रूप माता कात्यायनी का रौद्र स्वरूप दर्शन होता है जिनके हाथ में चण्ड-मुण्ड का सिर और खड्ग है

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मंदिर में एक पेड़ है जिस पर भक्तजन अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए चुनरी, धागे और चूड़ी आदि चढ़ाते हैं

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यहां माता कात्यायनी का श्रृंगार रोज़ सुबह 3 बजे से शुरू होता हैऔर हर बार इस्तेमाल किए गए आभूषण दोहराए नहीं जाते

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मंदिर में भगवान शिव, विष्णु, गणेश, लक्ष्मी, हनुमान जी और श्रीराम-सीता के दर्शन भी होते हैं

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छतरपुर मंदिर ग्रहण के दौरान भी खुला रहता है और नवरात्रि में 24 घंटे अपने भक्तों के लिए खुला रहता है

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मंदिर परिसर में 20 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर हैं जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं

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सफेद संगमरमर से बने इन मंदिरों में खास तौर पर बाबा नागपाल का कक्ष भी है जहां उनकी पूजा-अर्चना होती है

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छतरपुर मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों के बीच एक भव्य शिवलिंग भी स्थापित है जहां भगवान शिव की अलौकिक भव्यता महसूस होती है.

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