चाणक्य नीति के रचयिता आचार्य चाणक्य के अनुसार हर सफल व्यक्ति के

शत्रु और प्रतिद्वंदी होते हैं, जो समय समय पर उसकी तरक्की की रफ्तार को धीमा करने

का प्रयास करते रहते हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए और इन बातों का ध्यान रखना चाहिए...

प्रतिद्वंदी की हर गतिविधियों पर कड़ी नजर रखें. अपनी योजनाओं को हर किसी के साथ साझा न करें.

समय पर कार्य को पूरा करें और आलस से दूर रहें. बिना रणनीति के किसी कार्य को आरंभ न करें.

अहंकार और क्रोध से दूर रहें, ये शत्रु को सबसे अधिक लाभ पहुंचाते हैं.

जो लोग सदैव प्रशंसा करें उनसे सर्तक रहना चाहिए. ऐसे लोगों पर सोच समझ कर विश्वास करें.

दूसरों की निंदा नहीं करनी चाहिए जहां तक हो सभी से आदर और विनम्रता से पेश आना चाहिए.

प्रशंसा सुनने के लिए कोई कार्य नहीं करना चाहिए. ये गलत आदत है जो हानि पहुंचाती है.

दूसरों की भलाई और कल्याण के लिए भी कार्य करना चाहिए.