खाटू श्याम पांडव पुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे.
उनका नाम बर्बरीक था.


बर्बरीक को ही आज के समय में बाबा खाटू श्याम के
नाम से पूजा जाता है.


भगवान श्रीकष्ण ने ही इन्हें कलयुग में श्याम नाम से पूजे
जाने का वरदान दिया था.


खाटू श्याम का अर्थ है ‘मां सैव्यम पराजित:’ यानी जो हारे व
निराश लोगों को संबल प्रदान करे.


खाटू श्याम का जन्मोत्सव कार्तिक शुक्ल पक्ष की
देवउठनी एकादशी को मनाया जाता है.


बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था.
इसलिए इन्हें शीश दानी कहा जाता है.


खाटू श्याम जी को विश्व का दूसरा और सर्वश्रेष्ठ
धनुर्धर भी कहा जाता है.


बर्बरीक महाभारत में हारने वाले दल का साथ देने वाले थे.
इसलिए इन्हें ‘हारे का सहारा’ कहते हैं.