ज्योतिष विद्या का जिक्र चार
वेदों में होता है, लेकिन उसका विस्तृत विवरण अथर्ववेद में मिलता है.


अथर्ववेद भारतीय ज्योतिष
शास्त्रों में से एक है और इसमें भविष्यवाणियाँ, उपाय और मंत्रों का विस्तृत संग्रह है.


अथर्ववेद में ज्योतिष विद्या के
अलावा अन्य अनेक विषय भी हैं, जैसे कि आयुर्वेद, तंत्र, मन्त्र, यंत्र आदि.


ज्योतिष विद्या अथर्ववेद
में विस्तृत रूप से वर्णित है.


इसमें ग्रहों, राशियों, नक्षत्रों,
ज्योतिषीय योगों, भविष्यवाणियों, उपायों और मंत्रों का विस्तृत वर्णन है.


अथर्ववेद में ज्योतिषीय
गणनाओं के सम्बन्ध में बताया गया है.


सूर्य और चंद्रमा के गतिविधियों
का अध्ययन करके तारामंडल के अन्य ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का निर्धारण किया जा सकता है.


इसमें भविष्य की घटनाओं का
वर्णन भी है जो ज्योतिषीय वर्ष, मास और तिथि के आधार पर किया जाता है.


इसमें भविष्य के लिए उपायों और
मंत्रों का विस्तृत संग्रह भी है, जो निवारण और समृद्धि के लिए उपयोगी होते हैं.