पितृपक्ष पितरों का सामूहिक मेला है, जिसमें सभी पितृ पृथ्वीलोक पर आते हैं.

श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं और वापिस पितृलोक चले जाते हैं.

इसलिए पितृपक्ष में सभी को अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध अवश्य करना चाहिए.

पितृपक्ष में पितरों के मृत्युतिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए.

बात करें श्राद्ध पूर्णिमा की तो यह पितृपक्ष के एक दिन पहले पड़ता है.

हालांकि शास्त्रों में इसे पितृपक्ष का भाग नहीं माना जाता है.

इसलिए जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो उनका श्राद्ध भी अमावस्या पर करना चाहिए.

स्वाभाविक रूप से मरने वालों का श्राद्ध भाद्र पूर्णिमा या आश्विन अमावस्या को करना चाहिए.

ऐसे में सर्व पितृ अमावस्या पर पूर्णिमा श्राद्ध भी इस वर्ष 02 अक्टूबर 2024 को किया जाएगा.