महाकुंभ और कुंभ संक्रांति में अंतर के बारे में जानते हैं आप.



महाकुंभ 144 साल में एक बार लगता है, जबकि कुंभ मेला हर तीन साल में लगता है.



महाकुंभ को सभी कुंभ मेलों में सबसे पवित्र माना जाता है.



महाकुंभ केवल प्रयागराज में लगता है, जबकि कुंभ मेला चार जगहों पर लगता है.



महाकुंभ को 'भव्य कुंभ' भी कहा जाता है.



महाकुंभ में स्नान करने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है.



ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं, तब कुंभ संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.



पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सूर्य 12 फरवरी 2025, बुधवार को रात 10 बजकर 03 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.



उदयातिथि के अनुसार, कुंभ संक्रांति 13 फरवरी को मनाई जाएगी.



धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन की प्राप्ति होती है.