महाकुंभ का पौराणिक व धार्मिक कारण समुद्र मंथन से जुड़ा है.

मान्यता है कि अमृत कलश से चार बूंदे पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरी थी.

इन्हीं चार स्थानों (उज्जैन, नासिक, हरिद्वार, प्रयाग) पर कुंभ का आयोजन होता है.

इसलिए इन स्थानों के नदियों के जल को अमृत की तरह पवित्र माना जाता है.

लेकिन अमृत कलश का रहस्य कौए से भी जुड़ा है.

कौए बने जयंत के मुंह पर भी अमृत की बूंदें लग गई थी.

अमृत चखने के कारण कौए की आयु लंबी होती है.

मान्यता है कि कौआ कभी स्वाभाविक रूप से नहीं मरता है.

हिंदू धर्म में कौआ को पितरों का प्रतीक भी माना जाता है.