वैदिक काल में देवताओं का प्रिय पेय माना जाता था सोमरस.



यज्ञ में सोमरस की आहुति दी जाती थी, और इसे प्रसाद के रुप में ग्रहण किया जाता था.



सोमरस सोम नाम की जड़ी-बूटी से बनता था.



सोमस में जो गुण होते थे वो आज के समय में शराब में नहीं हैं.



सोमरस को बनाने के लिए सोम लता को कूटकर छान लिया जाता था.



वहीं, शराब को बनाने के लिए फलों, गन्ने, अनाज को सड़ाया जाता है.



सोमरस का पौधा लगभग खत्म हो चुका है.



लेकिन सोमरस शराब नहीं है.



शराब एक मादक पदार्थ है जो दिमाग और सोचने समझने की शक्ति को कम कर देता है.