चाणक्य एक बहुत ही महान नीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपनी नीतियों से कई युवाओं का भला किया था



यहां तक की जिनकी नीति आज भी सबके लिए एक महत्वपूर्ण ज्ञान है



पर चाणक्य ने अपनी नीतियों में यह क्यों कहा है कि अपने मन की बात मन में ही रखनी चाहिए



आईए जानते हैं इस बात से चाणक्य का क्या अर्थ है



चाणक्य का मानना है कि व्यक्ति को अपने मन का भेद किसी और व्यक्ति के सामने नहीं खोलना चाहिए



चाणक्य कहते हैं कि अगर आपके मन में अपने जीवन से जुड़ी हुई कोई खास बात या कोई योजना है



तो उसे किसी को ना बताएं, जब तक वह पूरी ना हो जाए



क्योंकि जीवन का कोई भरोसा नहीं है, हमारी सोची हुई नीतियां हमेशा पूर्ण नहीं होती हैं



और इस कारण हम सामने वाले व्यक्ति के सामने मूर्खता का स्वरूप बन जाते हैं



इसी कारण चाणक्य कहते हैं कि जब तक आपकी बात पूर्ण रूप से सही और बताने लायक ना हो



तब तक उसका ढिंढोरा किसी के सामने नहीं पीटना चाहिए.