चाणक्य ने अपनी नीति में कई कार्यों का वर्णन किया है



जिनको करने से व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है, जिसके बाद उसका नहाना जरूरी होता है.



आइए जानते हैं कि आचार्य ने किस प्रकार के कार्यों का वर्णन किया है.



आचार्य ने ऐसे तीन कार्यों के बारे में बताया है, जिन्हें करने से व्यक्ति अपवित्र हो जाता है.



चाणक्य कहते हैं, चिता का धुआं स्पर्श के बाद स्नान करना बहुत जरूरी होता है.



इसके अलावा चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई बाल कटवाता है तो उसके बाद उसे नहाना जरूर चाहिए



क्योंकि छोटे-छोटे बाल शरीर पर चिपक जाते हैं.



अगर आप कभी तेल मालिश करवाते हैं तो उसके बाद नहाना जरूर चाहिए



इससे व्यक्ति का शरीर स्वच्छ और तरोताजा हो जाता है