जब विक्ट्री परेड बनी डेथ थ्रेड
हम बताने जा रहे हैं कि बेंगलुरू में कल ये भगदड़ क्यों हुई, कैसे हुई, और 11 लोगों की मौत पर किसकी जवाबदेही तय होनी चाहिये..। बेंगलुरू में विधानसभा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक भीड़ में इन बच्चों को देखिये। ..कल भगदड़ में इन्हें भी कुछ हो जाता तो ?.. कौन ज़िम्मेदार होता ?.. कौन लेकर गया था इन्हें वहां ?.. क्या ये अपने पापा-मम्मी या भैया-दीदी के बगैर पहुंच गये थे?.. क्या इन्होंने ज़िद की थी कि विराट कोहली को पास से देखना है?.. क्या 4 से 5 साल की बच्ची को पता भी है कि कोहली कौन है, RCB क्या है और IPL क्या होता है ?.. चलें मान लें , ले भी गये...तो क्या इतनी भीड़ देखकर लौट नहीं जाना था ?.. कौन सा आसमान टूट पड़ता अगर विराट कोहली को फेस टू फेस देखे बिना लौट जाते?..ये जितने लोग थे, क्या इन्हें नहीं पता कि भगदड़... क्या होती है?.. कभी अख़बार नहीं पढ़ा...या कभी टीवी नहीं देखा?..टीवी पर देख लेते विराट कोहली को ?..IPL ही तो जीता था, कोई वर्ल्ड कप थोड़े ही जीता था !..वैसे भी ऐसी कौन सी विक्ट्री परेड थी जो 26 जनवरी की परेड से बड़ी हो गई?.. जिन 11 लोगों की जान गई है उनमें 13 साल की दिव्यांशी भी थी। ..उसकी भी जान गई है। ..। कौन लाकर देगा उसे वापस ?.. RCB..या IPL वाले ?..डीके शिवकुमार...या सिद्धारमैया ?..पूछिये...अगर लौटा सकते हों वापस !मेरे शब्द आपको तीखे ज़रूर लग रहे होंगे, लेकिन यही सच्चाई है। ..आपकी जान की परवाह आप को ही करनी होगी, कोई सरकार नहीं आएगी आपको इस भगदड़ में बचाने। ..क्योंकि सरकारों में...उनके एडमिनिस्ट्रेशन में..उनके अफसरों में इतनी संवेदनशीलता होती तो ऐसी भगदडं होती ही नहीं जैसी कल बेंगलुरू में हुई। ..और ये बात मैं पूरी ज़िम्मेदारी से..पूरे तथ्यों के साथ कह रही हूं..।देश में 20 साल में 20 बड़ी भगदड़ में 1486 लोगों ने जान गंवाई है। ज्यादातर की रिपोर्ट यही है कि प्रशासन और आयोजक लापरवाह थे।