West Bengal Violence: बंगाल हिंसा पर Prem Shukla और Rajkumar Bhati की तीखी बहस | Waqf Board On SC
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई कि राज्य सरकार कैसे फैसला कर सकती है कि कोई मुस्लिम है या नहीं. कपिल सिब्बल ने नए कानून के उस बदलाव पर आपत्ति जताई है, जिसमें कहा गया कि वक्फ को संपत्ति दान करने के लिए जरूरी है कि वह व्यक्ति कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो.बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कपिल सिब्बल ने वक्फ प्रबंधन अधिनियम के सेक्शन 3R का जिक्र करते हुए यह सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि ये कहता है कि वक्फ का मतलब है- किसी व्यक्ति की ओर से किया गया स्थाई समर्पण, जो पांच साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को ये बताना होगा कि वह पांस साल से इस्लाम का पालन कर रहा है, लेकिन राज्य सरकार को ये फैसला क्यों और कैसे करना चाहिए कि कोई मुस्लिम है या नहीं. कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि राज्य सरकार में कोई ये बताने वाला कौन होता है कि इस्लाम धर्म में विरासत किसके पास जाएगी. कपिल सिब्बल की इस दलील पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उन्हें टोका और कहा, 'लेकिन हिंदू धर्म में ऐसा होता है... इसलिए संसद ने मुस्लिमों के लिए कानून बनाया. हो सकता है कि वह हिंदुओं जैसा न हो... संविधान का अनुच्छेद इस मामले में कानून बनाने पर रोक नहीं लगाएगा.' उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 26 सर्वभौमिक है और ये धर्मनिरपेक्ष है क्योंकि ये सभी पर लागू होता है.