2005 के बाद एक साथ आए ठाकरे ब्रदर्स, राज-उद्धव की 'मराठी विजय सभा'
शिव तीर्थ पर एक विजय सभा का आयोजन किया गया। सभा में उपस्थित लोगों की भीड़ के कारण जो लोग अंदर नहीं आ पाए, उनसे क्षमा मांगी गई। इस अवसर पर, वक्ता और 'Udva' लगभग 20 साल बाद एक मंच पर एक साथ आए। वक्ता ने 'Hindi Shakti' के विषय पर भाजपा सरकार के निर्णय को पीछे लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में किसी भी भाषा को जबरदस्ती थोपना गलत है। त्रिभाषा सूत्र और नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के तहत हिंदी को अनिवार्य करने के प्रयासों का विरोध किया गया। वक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच समन्वय के लिए त्रिभाषा सूत्र लाया गया था, लेकिन यह किसी पर थोपा नहीं जा सकता। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "मेरे महाराष्ट्र की तरफ अगर कोई आंख उठा के देखेगा तो उन्हें हमारा सामना करना पड़ेगा।" वक्ता ने यह भी कहा कि हिंदी भाषा 200 साल पुरानी है और छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल में भी यह भाषा थी, इसलिए इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि "हिम्मत होगी तो बारात और मुंबई को अलग करके दिखाए।" यह सभा महाराष्ट्र की पहचान और भाषा के सम्मान के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश थी।