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Language Row: Thackeray परिवार मगध से, फिर क्यों Marathi के लिए हिंसा? Shankaracharya का सवाल

एबीपी न्यूज़ डेस्क   |  10 Jul 2025 03:10 PM (IST)

महाराष्ट्र में भाषा का विवाद लगातार जारी है। इस विवाद पर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अभिमुक्तेश्वानंद सरस्वती का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ठाकरे परिवार मगध से आया है, तब उन्हें मराठी नहीं आती थी, फिर वे आज मराठी के लिए क्यों लड़ रहे हैं। इस समय महाराष्ट्र की धरती पर हिंदी और मराठी को लेकर विवाद छाया हुआ है। एक राजनैतिक दल के कार्यकर्ता रिक्शाचालकों और व्यापारियों को इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि वे मराठी नहीं बोलते। शंकराचार्य ने इस बारे में कहा कि मराठी से प्रेम करने या उसका प्रसार-प्रचार करने में किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन मराठी को 'थप्पड़ वाली भाषा' घोषित करना गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि केवल महाराष्ट्र में रहने वाले लोग ही मराठी से प्रेम नहीं करते, बल्कि पूरा देश मराठी से प्रेम करता है। उन्होंने लक्ष्मीबाई का उदाहरण दिया और कहा कि महाराष्ट्र के लोग पूरे देश में जाकर अपना कार्य कर रहे हैं। हिंदी देश की राजभाषा है और उसका भी अपना प्रोटोकॉल है। शंकराचार्य ने कहा कि देश के बाहर भी कई स्थानों पर मराठी सिखाई जाती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हर व्यक्ति बहुभाषाविद् नहीं हो सकता और देश में ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो केवल एक भाषा बोल पाते हैं। उन्होंने ठाकरे परिवार के इतिहास का उल्लेख किया और कहा कि उनके पूर्वज मगध से आए थे और महाराष्ट्र ने उन्हें स्वीकार कर मराठी बनाया। शंकराचार्य ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के एक मंच पर आने का भी जिक्र किया। उन्होंने उस बयान की निंदा की जिसमें मराठी भाषा का अपमान करने वालों को 'कान के नीचे बजाने' की बात कही गई थी। शंकराचार्य ने कहा, "अगर कोई व्यक्ति पब्लिक में खड़ा होकर के। लोगों को मारने पीटने के लिए प्रेरित करता है और इतना ही नहीं सबूत छुपाने के लिए प्रेरित करता है की सबूत मत छोड़ना। इसका मतलब है की ये एस्पिरेसी है और ये एस्पिरेसी खुलेआम दिन दहाड़े हो रही है और कानून कुछ नहीं बोल रहा है।" उन्होंने सरकार और प्रशासन से इस पर संज्ञान लेने की अपील की, क्योंकि यह कानून व्यवस्था के लिए खतरा है।
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