महादेव से सीखें मुद्दों की राजनीति कैसे करें! Rahul Gandhi | Akhilesh Yadav | Bihar Vidhansabha |

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View In Appआज शिवरात्रि के पावन पर्व पर देश की मौजूदा राजनीति का विश्लेषण किया गया। राजनेता राजनीति को जनकल्याण का मार्ग बताते हैं, लेकिन क्या उनकी राजनीति में वास्तव में जनकल्याण के लिए कोई जगह बची है? संसद का मॉनसून सत्र लगातार हंगामे की भेंट चढ़ रहा है। विपक्ष सरकार से कई मुद्दों पर जवाब मांग रहा है, जिसमें डोनाल्ड ट्रम्प के सीजफायर दावे और बिहार में एसआईआर का मुद्दा प्रमुख है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के सांसद काले कपड़े पहनकर या काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव एक साथ प्रदर्शन में शामिल हुए। राहुल गांधी ने ट्रम्प के सीजफायर दावे को लेकर सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, "ट्रंप ने 25 बार बोला है कि मैंने सीज़फायर करवाया, ट्रंप कौन होता है, सीज़फायर कर रहा है, उसका काम थोड़ी है मगर प्रधानमंत्री ने एक बार जवाब नहीं दिया।" बिहार विधानसभा में भी एसआईआर को लेकर तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच तीखी बहस हुई। तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार तक की बात कही। इस सियासी गतिरोध के बीच दिल्ली के टिकरी कला इलाके से आई बाढ़ के पानी में डूबे क्लासरूम में बैठे बच्चों की तस्वीर मौजूदा राजनीति पर सवाल उठाती है। वहीं, चंडीगढ़ में 88 वर्षीय रिटायर्ड डीआईजी इंद्रजीत सिंह सिद्धू का सड़कों पर सफाई करना जनसेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश करता है। यह दिखाता है कि जब राजनेता जनकल्याण भूल जाते हैं, तब जनता को ही बीड़ा उठाना पड़ता है।