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Kanwar Yatra Violence: सड़कों पर कांवड़ियों के उत्पात पर चुप क्यों है सरकार? Sandeep Chaudhary

एबीपी न्यूज़ डेस्क   |  11 Jul 2025 10:26 PM (IST)

कांवड़ यात्रा आज से शुरू हो गई है और यह 23 जुलाई तक चलेगी. इस दौरान हरिद्वार, रुड़की, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद में कांवड़ियों द्वारा गाड़ियों को पलटाने और नुकसान पहुंचाने की घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं में गाड़ियों में बच्चे और महिलाएं भी मौजूद थीं. प्रशासन ने उत्तर प्रदेश में 70,000 पुलिसकर्मी तैनात किए हैं, लेकिन उनकी भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. आस्था के नाम पर गुंडागर्दी का मुद्दा उठाया गया है और पूछा गया है कि सुल्तानगंज से देवघर जाने वाली कांवड़ यात्रा या अमरनाथ यात्रा में ऐसी घटनाएं क्यों नहीं होतीं. मेरठ एक्सप्रेसवे 17 जुलाई को बंद रहेगा. हरिद्वार में कांवड़ को लेकर दिए गए बयान पर भी चर्चा हुई. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कई स्थानों पर हुई घटनाओं पर बहस जारी है. मुजफ्फरनगर, हरिद्वार, रुड़की और गाजियाबाद से वाहनों में तोड़फोड़ और यात्रियों के साथ मारपीट की खबरें आई हैं. एक व्यक्ति यशवीर ढाबों में जाकर लोगों की पहचान की जांच कर रहा है और कथित तौर पर गुंडागर्दी कर रहा है. प्रशासन ने स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं, लेकिन इस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. सड़क पर नमाज़ अदा करने और कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों के जमावड़े की तुलना पर भी सवाल उठे. प्रशासन का कहना है कि कांवड़ यात्री ठहरने वाले लोग नहीं हैं, वे शिव भक्त हैं. अखिलेश यादव ने कांवड़ियों के लिए कॉरिडोर बनाने की बात कही है. मांस की बिक्री और शराब की दुकानों को लेकर भी चर्चा हुई. 84% भारतीय मांस खाते हैं. एक ढाबे पर एक मुस्लिम व्यक्ति के हिंदू नाम से काम करने और उसके साथ हुई मारपीट का मुद्दा भी उठाया गया. कांवड़ यात्रा के दौरान हुई गुंडागर्दी और प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. एक ढाबे पर आधार कार्ड चेक करने और एक लड़के को वायर से मारने की घटना का जिक्र किया गया. आस्था के नाम पर कानून अपने हाथ में लेने की घटनाएं बढ़ रही हैं. बीफ एक्सपोर्टर कंपनियों में हिंदू नामों के मालिकों का मुद्दा भी उठाया गया. संविधान और समानता के हनन पर भी चर्चा हुई. पुलिस की निष्क्रियता और कांवड़ियों पर फूल बरसाने की परंपरा पर भी सवाल उठे. एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे अपने परिवार के साथ इस रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं करेंगे. यह भी पूछा गया कि गुंडागर्दी करने वालों के पोस्टर क्यों नहीं लगाए जाते. 70,000 पुलिसकर्मी तैनात होने के बावजूद गुंडागर्दी को संरक्षण दिया जा रहा है. नेता अपने बच्चों को कॉन्वेंट में पढ़ाएंगे और गरीबों के बच्चों से कांवड़ यात्रा निकलवाएंगे. 84% भारतीय मीट खाते हैं, और शुभ कार्यों में भी मछली या मटन बनता है. कांवड़ यात्रा के दौरान मुसलमानों को अपनी दुकानें बंद करने पर भी सवाल उठे.
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