Kanwar Yatra Food Safety: सनातन पर 'मूत्र' अटैक? QR Code पर घमासान! Mahadangal | Chitra Tripathi
एबीपी न्यूज़ डेस्क | 10 Jul 2025 11:10 PM (IST)
सावन का पवित्र महीना शुरू होने के साथ ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो रही है. इस यात्रा से पहले विवाद और सियासत का शोर सुनाई दे रहा है. नेम प्लेट लगाने का अभियान अब क्यूआर कोड तक पहुंच गया है, जिस पर सबसे ज्यादा विवाद है. हिंदू संगठनों का आरोप है कि कुछ लोग नाम छुपाकर दुकानें चला रहे हैं, जिससे कांवड़ यात्रियों की शुद्धता प्रभावित होती है. मुरादाबाद में नीलकंठ रेस्टोरेंट की जांच में मालिक का नाम शराफत हुसैन सामने आया, जिसके बाद प्रशासन ने नाम बदलने की हिदायत दी. मुजफ्फरनगर में एक ढाबे के कर्मचारी से बदसलूकी का आरोप भी लगा था, जिसे लेकर विवाद पूरे देश में फैल गया. कुछ लोग इस नेम प्लेट अभियान को मुसलमानों के खिलाफ बता रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि इसके जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. इस मुद्दे पर बहस के दौरान एक पक्ष ने कहा, 'हमारी जिम्मेदारी है कि आने वाले शिव भक्तों को माँ गंगा के जल को ले जाकर जो अपने-अपने स्थानों को करते हैं, उनको हर प्रकार की स्वच्छता मिली, शुद्धता मिली. खाने के बारे में भी कोई संदेह ना हो कहीं से कोई मिलावट ना हो.' वहीं, दूसरे पक्ष ने क्यूआर कोड के इस्तेमाल पर सवाल उठाए और इसे नफरत फैलाने का काम बताया. भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि यह कानून व्यवस्था और कांवड़ियों की सहूलियत के लिए है, जबकि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और एआईएमआईएम इसे धार्मिक भेदभाव और मुसलमानों को निशाना बनाने की साजिश बता रहे हैं. दुकानों और ढाबों पर नाम और पहचान छिपाने को लेकर एक बहस छिड़ गई है. यह बहस कांवड़ यात्रा के दौरान खाने-पीने की दुकानों पर पारदर्शिता की मांग से जुड़ी है. कुछ लोगों ने खाने में 'मूत्र' और 'थूक' मिलाने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, जिन्हें 'थूक जिहाद' और 'मूत्र जिहाद' कहा जा रहा है. बहस के दौरान यह तर्क दिया गया कि जब Halal और Jhatka मीट की बात आती है, तो लोग अपनी पसंद जानने का हक रखते हैं. इसी तरह, शाकाहारी भोजन बेचने वाली दुकानों के मालिकों की पहचान जानने का हक भी ग्राहकों को होना चाहिए. यह भी बताया गया कि FSSAI और GST के नियमों के तहत दुकान का नाम, पता और मालिक का नाम प्रदर्शित करना अनिवार्य है. हालांकि, कुछ लोगों ने इसे भेदभावपूर्ण और मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की कोशिश बताया है. Al Kabeer Export जैसी कंपनियों का उदाहरण दिया गया, जिनके मालिकों के नाम (जैसे Atul Sabarwal) कंपनी के नाम से अलग हैं. सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी निजी समूह दुकानों की जांच नहीं करेगा, यह काम सरकारी अधिकारियों का है. एक प्रतिभागी ने कहा कि 'अपनी पहचान नहीं छुपाना चाहिए, कारोबार चलेगा. आप किसी को धोखा मत दीजिए, नाम मत बदलिए.' यह पूरा विवाद धार्मिक आस्था, पारदर्शिता और सामाजिक सद्भाव के इर्द-गिर्द घूम रहा है. एक टीवी डिबेट में सनातन धर्म और अन्य धर्मों के बीच के अंतर पर चर्चा हुई. एक वक्ता ने कहा कि सनातन धर्म पूरे विश्व को समाहित कर सकता है, जबकि अन्य धर्म केवल अपने अनुयायियों की बात करते हैं. चर्चा के दौरान, कांवड़ यात्रियों के खाने में मूत्र या गंदगी मिलाने के आरोप पर प्रश्न उठाए गए. एक वक्ता ने कहा, 'कल्पना कीजिए हमारे खाने में मूत्र मिलाया गया, भूख मिलाया गया घमानी चाहिए इतने बड़े चैनल पर दुख होकर बोल रहा है.' इस आरोप के बाद, सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों पर क्यूआर कोड लगाने के प्रस्ताव पर भी बहस हुई. कुछ वक्ताओं ने इसे पारदर्शिता के लिए आवश्यक बताया, जबकि अन्य ने इसे राजनीति से जुड़ा कदम और लोगों को निशाना बनाने का प्रयास बताया. डिबेट में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के नाम बदलने और पहचान छिपाने के मुद्दे पर भी बात हुई. विपक्ष ने सरकार पर धर्म की राजनीति करने और अपने कर्तव्यों को भूलने का आरोप लगाया, जिसमें जनता की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य शामिल हैं. सरकार के प्रतिनिधियों ने अपने कामकाज का बचाव किया और विपक्ष पर आरोप लगाने की राजनीति करने का आरोप लगाया.