Dusshera 2024: हाथ में धुनुची, ढाक पर थिरकते कदम...दुर्गा पंडालों में ऐसा है नजारा | ABP News |
दशहरा के मौके पर महिलाओं का सिंदूर खेला एक बहुत ही आनंदमय और रंगीन परंपरा है। इस अवसर पर महिलाएं अपने-अपने घरों से सजी-धजी होकर एकत्र होती हैं। वे पारंपरिक परिधानों में, जैसे कि साड़ी या लहंगे में, खूबसूरत नजर आती हैं। सिंदूर खेला की शुरुआत आमतौर पर ढोल-नगाड़ों की धुन पर होती है। ढोल की थाप और नगाड़ों की आवाज़ वातावरण को खुशनुमा बना देती है। महिलाएं एक-दूसरे पर सिंदूर डालती हैं और साथ में नृत्य करती हैं। यह खेल न केवल आनंद का प्रतीक है, बल्कि यह स्नेह और भाईचारे का भी संदेश देता है। सिंदूर खेला का यह उत्सव एक तरह से नारीत्व का उत्सव है, जहां महिलाएं अपनी शक्ति, सौंदर्य और परंपराओं का जश्न मनाती हैं। यह एक ऐसा मौका है जब वे एक-दूसरे के साथ मिलकर अपनी खुशियों को साझा करती हैं, जिससे सामुदायिक बंधन और मजबूत होता है। इस दौरान स्वादिष्ट व्यंजन और मिठाइयाँ भी बनाई जाती हैं, जिससे वातावरण और भी उल्लासपूर्ण हो जाता है। इस प्रकार, सिंदूर खेला महिलाओं के लिए एक विशेष दिन होता है, जिसमें वे अपने उत्साह और खुशियों को मनाते हैं।