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क्या वैष्णो देवी में हादसा टल सकता था?

एबीपी न्यूज़ डेस्क   |  27 Aug 2025 11:31 PM (IST)

मंगलवार को माँ वैष्णो देवी मंदिर के ट्रैक पर हुए भूस्खलन ने पूरे देश को डरा दिया है। इस हादसे में 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई है और कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। यह घटना अर्धकुवारी के पास हुई। इस हादसे के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा है कि खराब मौसम की चेतावनी के बावजूद यात्रा को क्यों नहीं रोका गया। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा, 'तब हमें मौसम के बारे में पता था तो क्या हम और एक दामाद नहीं उठा सकते थे? के उन कीमती जानों को हम बचाएं।' उन्होंने यह भी पूछा कि जब मौसम खराब होने की चेतावनी कुछ दिन पहले ही मिल गई थी, तो यात्रियों को ट्रैक पर क्यों जाने दिया गया और उन्हें सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया। प्रशासन और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि धार्मिक यात्राओं को रोकने में हिचकिचाहट क्यों होती है, जबकि ऐसी यात्राओं से स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन जुड़ा होता है। इसके अलावा, भक्तों की नाराजगी और राजनीतिक विवाद से बचने के लिए भी यात्राएं जारी रखी जाती हैं। देश के अन्य पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखंड में मद्महेश्वर और हिमाचल प्रदेश में मणिमहेश्वर की यात्राएं भी खराब मौसम के बावजूद जारी हैं, जहाँ रास्ते टूटे हुए हैं और श्रद्धालु जान जोखिम में डाल रहे हैं।मंगलवार को माँ वैष्णो देवी मंदिर के ट्रैक पर हुए भूस्खलन ने पूरे देश को डरा दिया है। इस हादसे में 34 श्रद्धालुओं की जान चली गई है और कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। यह घटना अर्धकुवारी के पास हुई। इस हादसे के बाद से लगातार यह सवाल उठ रहा है कि खराब मौसम की चेतावनी के बावजूद यात्रा को क्यों नहीं रोका गया। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर सवाल उठाते हुए कहा, 'तब हमें मौसम के बारे में पता था तो क्या हम और एक दामाद नहीं उठा सकते थे? के उन कीमती जानों को हम बचाएं।' उन्होंने यह भी पूछा कि जब मौसम खराब होने की चेतावनी कुछ दिन पहले ही मिल गई थी, तो यात्रियों को ट्रैक पर क्यों जाने दिया गया और उन्हें सुरक्षित क्यों नहीं रखा गया। प्रशासन और सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि धार्मिक यात्राओं को रोकने में हिचकिचाहट क्यों होती है, जबकि ऐसी यात्राओं से स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यटन जुड़ा होता है। इसके अलावा, भक्तों की नाराजगी और राजनीतिक विवाद से बचने के लिए भी यात्राएं जारी रखी जाती हैं। देश के अन्य पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखंड में मद्महेश्वर और हिमाचल प्रदेश में मणिमहेश्वर की यात्राएं भी खराब मौसम के बावजूद जारी हैं, जहाँ रास्ते टूटे हुए हैं और श्रद्धालु जान जोखिम में डाल रहे हैं।

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