Tata Trust में जंग : कौन बनेगा Kingmaker –Noel Tata या Mehul Mistry?”| Paisa Live
Tata Trusts के अंदर एक तीव्र सत्ता संघर्ष तेज हो गया है — वो भी एक ऐसे समय में जब Tata ग्रुप खुद महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। Tata Trusts करीब 66 % हिस्सेदारी रखता है Tata Sons में, इसलिए Trusts का हर फैसला ग्रुप की दिशा तय कर सकता है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई, जब 11 सितंबर को हुए एक Trustee मीटिंग में विनय हुआ कि टिकट पर बैठे हुए पूर्व रक्षा सचिव Vijay Singh की बोर्ड रियायती – यानी पुनर्नियुक्ति – की बात चली। Noel Tata और Venu Srinivasan ने इसे आगे बढ़ाया, लेकिन चार अन्य trustees — Mehli Mistry, Pramit Jhaveri, Jehangir HC Jehangir, Darius Khambata — ने इसका विरोध किया। नतीजा यह हुआ कि प्रस्ताव खारिज हो गया। इसके बाद, उसी समूह ने Mehli Mistry को बोर्ड में शामिल करने की मांग की। लेकिन Noel Tata और उनके समर्थक इस प्रस्ताव को भी खारिज कर गए। स्थिति तब और जटिल हुई, जब 7 अक्टूबर को Noel Tata और Tata Sons के अध्यक्ष N. Chandrasekaran ने गृह मंत्री Amit Shah और वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman से मुलाकात की। इस मुलाकात में मुख्य विषय था: Trusts के भीतर बोर्ड नामांकन, पारदर्शिता और शक्ति संतुलन। केंद्र सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया कि वे इस विवाद को “समाधान योग्य” मानते हैं और स्थिरता बहाल करने की दिशा में कदम चाहते हैं। 10 अक्टूबर को प्रस्तावित अगली मीटिंग को बहुत महत्व दिया जा रहा है — इसमें तय होगा कि किसका नियंत्रण मजबूत होगा, किसकी छवि आगे ठहराएगी, और Tata Trusts की राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा कैसे बनी रहेगी। यह संघर्ष सिर्फ एक कंपनी की नहीं, बल्कि 156 वर्षों के Tata वारिस और भारत की सबसे प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट संस्था की आत्मा की लड़ाई है।