33000 करोड़ की घोषणाएं: क्या बिहार की अर्थव्यवस्था इसे सह पाएगी?| Paisa Live
बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों की घोषणाओं में रेवड़ी संस्कृति यानी Freebies की भरमार देखने को मिल रही है। पिछले 6 महीनों में मुफ्त बिजली, Smartphone Tablet, महिलाओं को ₹10,000 और पत्रकारों को ₹15,000 Pension जैसे वादे किए गए हैं। इन घोषणाओं का कुल बोझ ₹33,000 करोड़ है, जो कि राज्य के कुल Tax Revenue ₹59,520 करोड़ का 55% हिस्सा है।चौंकाने वाली बात यह है कि यह खर्च उस समय किया जा रहा है जब बिहार पहले से ही ₹4.06 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा है। वहीं Infrastructure जैसे सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा पर केवल ₹40,532 करोड़ खर्च हो रहे हैं। अगर चुनाव के बाद भी ये Freebies जारी रहे, तो Capital Outlay में और कटौती संभव है।बिहार का Budget पहले से ही 53% केंद्र सरकार की सहायता पर निर्भर है, और राज्य का सड़क-शिक्षा पर खर्च केवल 13% है, जबकि यूपी में यह 21% और राष्ट्रीय स्तर पर 17% है। बिहार अकेला नहीं है—महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना भी इसी राह पर हैं।