UCC Uniform Civil Code: देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन चुका है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक दिन पहले घोषणा कर इसकी जानकारी दी. UCC लागू होने के बाद आदिवासी समुदाय को छोड़कर सभी जाति व धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून लागू हो गया है. विशेषकर शादी और तलाक जैसे मामलों में अलग-अलग धर्मों के कानून अब उत्तराखंड में मान्य नहीं होंगे.
यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत नए नियम बनाए गए हैं, तो कई पुराने नियमों की भी पुष्टि की गई है. विशेषकर शादी, तलाक, उत्तराधिकार व लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर तय किए गए कानून चर्चा में हैं. राज्य सरकार ने नए नियमों के जरिए सभी धर्म-जाति के लोगों को एक समान कानून के दायरे में लाने का प्रयास किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग तलाक कैसे ले पाएंगे, इसका पूरा प्रॉसेस क्या है.
नहीं लागू होंगे कई इस्लामी कानून
मुस्लिम पर्सनल (शरिया) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 के तहत मुस्लिमों के निजी व पारिवारिक मामले जैसे विवाह, तलाक, विरासत व भरण-पोषण इस्लामी कानून के तहत शासित होते हैं. हालांकि, यूनिफॉर्म सिविल लॉ के लागू होने के बाद इन मामलों पर इस्लामी कानून लागू नहीं होगा. यूसीसी में लड़कियों की शादी के लिए न्यूनतम उम्र 18 और लड़कों के लिए 21 निर्धारित की गई. ऐसे में मुस्लिम लड़कियों का विवाह भी 18 साल से पहले नहीं हो सकेगा. इस्लामी कानून में लड़कियों के वयस्क होने की आयु निर्धारित नहीं की गई थी. साथ ही सभी धर्म की लड़कियों को भी संपत्ति में अधिकार मिलेगा.
मुस्लिम अब कैसे ले पाएंगे तलाक
मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक पर तो काफी पहले रोक लगा दी गई थी. यह कानून पूरे देश में लागू है. इसके बावजूद इस्लाम में अन्य तरह के तलाक भी हैं, जिनमें- तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-बाईन या तलाक-ए-किनाया खत्म होंगे. कानूनी तौर पर मुस्लिमों को भी तलाक के लिए एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. शादी के तुरंत बाद तलाक के लिए आवेदन नहीं किया जा सकता है. उन्हें एक साल की अवधि पूरी ही करनी होगी. उसके बाद ही कोर्ट में तलाक की अर्जी दी जा सकती है. हिंदुओं की तरह मुस्लिमों के लिए भी तलाक का ग्रांउड पति-पत्नी के लिए एक ही होगा. हिंदू हो या मुस्लिम अगर वह शादीशुदा है तो बिना तलाक लिए उसे दूसरी शादी की इजाजत नहीं होगी.