अपना खुद का घर होने का सपना हर कोई देखता है, खासतौर पर लोग शहरों में अपना घर बसाने की चाहत रखते हैं. हालांकि काफी कम लोगों के पास ही इतना पैसा होता है कि वो खुद का घर खरीद सकें, इसीलिए ज्यादातर लोग शहरों में किराये के मकान में रहते हैं. ये लोग अपने गांव और कस्बों को छोड़कर नौकरी की तलाश में बड़े शहर आते हैं और वहां किराया देकर एक या दो कमरों में ही अपनी जिंदगी गुजारते हैं. कई बार देखा गया है कि किराये के मकान में रहते हुए मकान मालिक भी लोगों को परेशान करता है. कोरोनाकाल में ऐसे कई मामले हमें देखने को मिले, इसीलिए आज हम आपको किरायेदार के अधिकारों के बारे में बता रहे हैं. 


किरायेदारों के अधिकार
किराये के मकान में रहते हुए भी आपके कई अधिकार होते हैं, जिनका हनन होने पर आप कानूनी मदद ले सकते हैं. आप इसकी शिकायत पुलिस या फिर कोर्ट में भी कर सकते हैं, जिसके बाद आपको न्याय दिया जाएगा. अगर कोई मकान मालिक आपसे बिना किसी कारण या नोटिस दिए मकान खाली करवाता है तो वो ऐसा नहीं कर सकता है. किरायेदार को बिना किसी वैध कारण के घर से नहीं निकाला जा सकता है. 


निजता का भी अधिकार
इसके अलावा सभी किरायेदारों को अपनी निजता का भी अधिकार है, किरायेदार की मर्जी के बिना मकान मालिक उस फ्लैट या घर पर कभी भी नहीं धमक सकता है. इसके लिए उसे किरायेदार की इजाजत लेनी होगी. अगर किरायेदार को किराये की रसीद चाहिए तो मकान मालिक को देनी होगी. किरायेदार सिक्योरिटी मनी पर भी दावा कर सकता है, मकान मालिक घर खाली होते वक्त इसे देने से इनकार नहीं कर सकता है. हालांकि अगर घर में कुछ तोड़फोड़ हुई हो तो मकान मालिक उसकी भरपाई सिक्योरिटी मनी से कर सकता है. 


किरायेदार को घर में सभी जरूरी सेवाएं देना भी मकान मालिक की जिम्मेदारी होती है. साथ ही एक ही दिन में मकान खाली करने के लिए भी नहीं कहा जा सकता है, इसके लिए कम से कम एक महीने का नोटिस देना जरूरी है. 


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