रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने गुरुवार को डिजिटल रुपये का ऑफलाइन वर्जन लॉन्च किया है. इस इलेक्ट्रॉनिक रुपए की सबसे खास बात ये है कि इसकी मदद से नेटवर्क के बिना भी पेमेंट किया जा सकता है. ऐसे में अब कैश की समस्या का समाधान होने वाला है.

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दरअसल, कैशलैस पेमेंट के सभी तरीकों में यह सबसे क्रांतिकारी तरीका साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें आपको ऑफलाइन ही सिर्फ एक QR स्कैन करना होगा और टैप करते ही तुरंत पेमेंट हो जाएगी. इस तरह ये भारतीय रूपये का इलेक्ट्रॉनिक रूप बेहद शानदार है. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपया और ये नॉर्मल रुपये से कैसे अलग है?

नॉर्मल रुपये से कैसे अलग है ई-रुपया ?

ई-रुपया भारतीय रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी है, जिसे आप किसी भी लेन-देन में इस्तेमाल कर सकते हैं. RBI ने इसके लिए टैगलाइन दी है, "कैश लेकिन डिजिटल". ऐसे में ये करंसी भी अपनी टैगलाइन से अनुसार ही काम करती है. एक तरह से ये आपके वॉलेट में पड़े कैश की तरह है, जिसे आप जब चाहे, जहां चाहे निकालकर दे सकते हैं. इसका मतलब है कि कैश पेमेंट लेकिन विदआउट कैश. इसके लिए आपको किसी नेटवर्क या डेटा की कोई जरूरत नहीं होगी और नॉर्मल रुपये की तरह इसे जेब में लेकर नहीं चलना पड़ेगा. साथ ही, इसके खोने की भी कोई टेंशन नहीं है.

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कैसे कर पाएंगे पेमेंट?

इस पेमेंट सिस्टम में NFC यानी नियर फील्ड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पेमेंट की जाती है. ये टेक्नोलॉजी आप रोजाना में अपने फोन में फोटोज, विडियोज और डेटा शेयर करने के लिए भी करते हैं. इसमें यूजर को बस अपना फोन का वॉलेट ओपन करना है. उसके बाद जितने रुपए की पेमेंट करनी है उसे फिल करके दुकानदार की पेमेंट मशीन पर लगा QR स्कैन करना है और तुरंत पेमेंट हो जाएगी.

UPI और ई-रुपये में क्या है फर्क?

UPI की बात करें तो इसमें जब भी आप पेमेंट करते हैं तो आपके बैंक अकाउंट से स्पेसिफिक अमाउंट कटता है और सामने वाले के बैंक में ट्रांसफर हो जाता है. हालांकि, ई-रुपया इससे अलग है. इसमें आपको बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं होती. इसमें पेमेंट दो ई-रुपये वॉलेट के जरिए होती है. साथ ही, इसकी खास बात ये है कि इनसे UPI और QR कोड भी स्कैन किया जा सकता है.

किन लोगों को मिलेगा फायदा?

डिजिटल करेंसी को लाने का सबसे बड़ा कारण है, उन जगहों पर कैशलैस पेमेंट की सुविधा देना जहां इंटरनेट सिस्टम कमजोर होता है. इसका सबसे ज्यादा फायदा उन लोगों को होगा, जो गांव के इलाकों में रहते हैं और जहां इंटरनेट सुविधा नहीं होती है. 

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