Property Rules: देश में जमीन और घर को लेकर टकराव होना आम बात है. खासकर खानदानी प्रॉपर्टी का बंटवारा होते ही हालात और भी उलझ जाते हैं. कई लोग मान लेते हैं कि अगर हिस्सा उनके नाम पर दर्ज हो गया है. तो वह उस जमीन को बिना किसी को बताए बेच सकते हैं. लेकिन असल तस्वीर इतनी सीधी नहीं होती. परिवार के हर सदस्य का कानूनी अधिकार जुड़ा होता है और किसी भी जल्दबाजी में उठाया गया कदम बाद में बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है.

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यही वजह है कि ऐसे मामलों में परिवार के बाकी सदस्यों को बताना. उनकी परमिशन लेना समझदारी माना जाता है. फिर भी कुछ स्थितियां ऐसी होती .हैं जब आप जमीन अपने नाम होने पर खुद बेच सकते हैं और किसी की परमिशन की जरूरत नहीं पड़ती. यह शर्तें क्या हैं और किस स्थिति में आपको सावधान रहना चाहिए. जान लीजिए हर एक बात.

रिश्तेदारों की सहमति क्यों जरूरी है?

खानदानी जमीन का बंटवारा होने के बाद हर हिस्सेदार का कानूनी और आर्थिक हक बनता है. अगर कोई भी हिस्सेदार बिना जानकारी के जमीन बेचता है. तो दूसरे हिस्सेदार कोर्ट में जाकर बिक्री को चुनौती दे सकते हैं और डील को रद्द करवा सकते हैं. इसके अलावा जमीन बेचने के समय बिक्री के सभी डॉक्यूमेंट्स में हिस्सेदारों का नाम और उनकी लिखित परमिशन होना जरूरी है. इसलिए रिश्तेदारों को जानकारी देना और उनकी सहमति लेना विवाद से बचने का सबसे आसान और सुरक्षित तरीका है. यह कदम भविष्य में होने वाले कानूनी झंझट, परिवारिक तनाव और नुकसान को भी कम करता है.

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कब बिना सहमति के बेच सकते हैं? 

अगर बंटवारे में मिली खानदानी जमीन कानूनी रूप से आपका फाइनल हिस्सा बन चुकी है और ओनरशिप पूरी तरह से आपके नाम है. तो आप इसे रिश्तेदारों को बताए बिना बेच सकते हैं. इस स्थिति में जमीन आपकी निजी संपत्ति बन जाती है और ऊपर आपका पूरा कानूनी अधिकार होता है. मतलब,सभी बंटवारे के डॉक्यूमेंट्स, रजिस्ट्री और कानूनी क्लियरेंस पूरी तरह से होने के बाद आप किसी भी खरीदार को बिना किसी और हिस्सेदार की सहमति के बेच सकते हैं. 

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इन बातों का रखें ध्यान

ध्यान रखें कि जमीन पर कोई लोन, कर्ज या चल रहे कानूनी केस न हो. वरना बिक्री में दिक्कत आ सकती है. इसलिए हमेशा पहले सभी डॉक्यूमेंट्स और क्लियरेंस चेक करें ताकि भविष्य में कोई कानूनी या फाइनेंशियल झंझट न आए और ट्रांजैक्शन पूरी तरह सुरक्षित रहे.

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