भारत में कुछ ही समय में तेजी से बढ़ती टेक्नोलॉजी के साथ कई बदलाव देखने को मिले हैं. ऐसे में कई साल पुरानी पोस्ट सर्विस सेवा भी हाल ही में बंद कर दी गई. इसके बाद अब मध्य प्रदेश में मैनुअल स्टाम्प को बंद करने की तैयारी चल रही है.
दरअसल, टेलीग्राम और मनीआर्डर की तरह अब 126 साल पुराने मैनुअल स्टाम्प को भी अलविदा कहने का समय आ गया है. सरकार का कहना है कि इससे सरकार को 34 करोड़ रुपये की बचत होगी. पुराने मैनुअल स्टाम्प की जगह नए ई-स्टाम्प काम करेंगे. ऐसे में आइए विस्तार से इसके बारे में जानते हैं.
कब शुरू हुए थे मैनुअल स्टाम्प?
मैनुअल स्टाम्प का इतिहास काफी पुराना है. ब्रिटिश ने साल 1694 में युद्ध के दौरान होने वाला खर्च जुटाने के लिए स्टाम्प ड्यूटी की शुरुआत की थी. इसके बाद भारत में साल 1899 में स्टाम्प अधिनियम बना और भारत में पहली बार मैनुअल स्टाम्प की शुरुआत हुई. लेकिन बाद में कई लोगों ने नकली स्टाम्प बनाना शुरू कर दिया. इसको रोकने के लिए इसपर वॉटरमार्क, माइक्रोटेक्स्ट और एक यूनिक सीरियल नंबर बनाया जाने लगा और इस तरह मैनुअल स्टाम्प ने अपनी जर्नी तय की. इसी स्टाम्प ड्यूटी से मध्य प्रदेश समेत कई राज्य के रेवेन्यू का 8 से 10% हिस्सा आता था.
क्यों पड़ी इसे बंद करने की जरूरत ?
126 साल पुराने इस मैनुअल स्टाम्प को बंद करने के पीछे का कारण भी ठोस है. दरअसल, साल 2003 में स्टाम्प को लेकर एक घोटाले का मामला सामने आया था, जिसमें 30 हजार करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था. इसके अलावा इससे सरकार को काफी खर्चा भी उठाना पड़ रहा है क्योंकि इसकी छपाई, ट्रांसपोर्टेशन और सेफ्टी पर एनुअली 34 करोड़ रुपये का खर्च आता है, जो काफी ज्यादा है. इसके अलावा 100 रुपये से ऊपर में मिलने वाले सभी मैनुअल स्टाम्प साल 2015 में ही बंद किए जा चुके हैं. प्रेजेंट टाइम पर 100 रूपये से नीचे में मिलने वाले स्टाम्प की छपाई केवल हैदराबाद और नीमच प्रेस में होती है.
ई-स्टाम्प करेंगे इसे रिप्लेस
मैनुअल स्टाम्प के बंद होने के साथ ही नई ई-स्टाम्प इसे रिप्लेस कर देगी. मैनुअल स्टाम्प के मुकाबले ई-स्टाम्प काफी बेहतर है. ये मैनुअल स्टाम्प का मॉडर्न और डिजिटलाइज्ड वर्जन है. सरकार के मुताबिक ई-स्टाम्प से इस बात का आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि ये स्टाम्प किसने, कब, कहां से और कितने में खरीदा है, जिससे फर्जी और डबल बिक्री जैसी शिकायतों पर रोक लगेगी. ऐसे में मैनुअल स्टाम्प को बंद करने का प्रपोजल राज्य सरकार को भेज दिया गया है.
खुद जनरेट करें ई-स्टाम्प
रेवेन्यू ऑफिसर्स का कहना है कि ई स्टाम्प में लोगों को बैंक्स या ऑफिसेज में स्टाम्प खरीदने के लिए लाइन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी बल्कि कोई भी खुद ही इसे डिजिटली जनरेट कर सकता है. ये सुविधा 2015 में ही शुरू हो गई थी. आज बहुत कम लोग ये बात जानते हैं कि भारत में केवल मध्य प्रदेश अकेला ऐसा राज्य है, जो खुद सॉफ्टवेयर के जरिए ई-स्टाम्प जारी करता है, जबकि बाकी राज्यों में ऐसा नहीं है. बाकी राज्यों में ये ई-स्टाम्प थर्ड पार्टी एजेंसी स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के जरिए जारी किए जाते हैं. इसमें इंसान को बस पैसे देने होते हैं, जो पहले एजेंसी के पास जमा होते हैं फिर राज्य सरकार के पास जाते हैं. वहीं एमपी में पूरी राशि सीधे सरकार के पास जाती है.
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