LPG Gas Cylinder Insurance:  आज के समय में लगभग सभी घरों में खाना एलपीजी गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. यह काफी आसान और सुविधाजनक होता है. लेकिन इसके साथ हादसा होने का जोखिम भी जुड़ा है. लेकिन बहुत से लोगों को नहीं पता होता. हर एक एलपीजी गैस सिलेंडर का इंश्योरेंस भी होता है. कई लोग मान लेते हैं कि अगर किसी दिन सिलेंडर से कोई हादसा हो जाए तो बीमा क्लेम अपने आप मिल जाएगा. 

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लेकिन ऐसा नहीं होता है. क्लेम तभी मिलती है जब नियमों के हिसाब से सिलेंडर और कनेक्शन का इस्तेमाल किया गया हो. लोग अक्सर यही बात नजरअंदाज कर देते हैं और बाद में उनका क्लेम रिजेक्ट हो जाता है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि किन लोगों को क्लेम मिलता है और किन लोगों को नहीं मिल पाता. चलिए आपको बताते हैं इसकी पूरी जानकारी.

किन लोगों को नहीं मिलता क्लेम?

एलपीजी सिलेंडर फटने से हादसा होने पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा और प्रति व्यक्ति लगभग 10 लाख रुपये तक का कवर शामिल होता है. लेकिन सबको यह क्लेम नहीं मिलता है. यह क्लेम तभी मिलता है जब सिलेंडर, पाइप, रेगुलेटर और स्टोव पूरी तरह कंपनी के तय मानकों के अनुसार हों. अगर आपने लोकल पाइप लगा रखा है. रेगुलेटर बदल कर कोई सस्ता ऑप्शन इस्तेमाल कर रहे हैं या स्टोव स्टैंडर्ड क्वालिटी का नहीं है. तो जांच टीम यह मान लेती है कि लापरवाही आपकी तरफ से हुई है.

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घरों में अक्सर स्टोव ऐसी जगह रखा होता है जहां हवा का रास्ता नहीं होता या उसके पास ज्वलनशील सामान रखा होता है. ऐसी स्थिति में भी क्लेम खारिज हो सकता है. अगर कनेक्शन किसी और नाम से है और इस्तेमाल कोई दूसरा कर रहा है. तो कंपनी इस पर भी सवाल उठा सकती है. सेटअप सुरक्षित न हो, कागज या जानकारी सही न हो या लापरवाही दिखे तो ऐसे लोगों को क्लेम नहीं मिल पाता हैय 

क्लेम पाने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?

अगर आप चाहते हैं कि अनहोनी की स्थिति में अधिकतम 50 लाख रुपये तक का बीमा कवर या प्रति व्यक्ति 10 लाख रुपये तक की राशि बिना परेशानी मिले तो कुछ बातें हमेशा याद रखें. सिलेंडर सिर्फ आधिकारिक डिस्ट्रीब्यूटर से लें और रसीद संभाल कर रखें. पाइप कंपनी सर्टिफाइड होना चाहिए और एक्सपायरी डेट के बाद उसे तुरंत बदल दें. 

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स्टोव सुरक्षित जगह पर होना चाहिए. उसके आसपास तेल, कपड़ा या अखबार जैसी चीजें न रखें. खाना बनाते समय सिलेंडर को खींचने या हिलाने से बचें. हादसा होते ही पुलिस और डिस्ट्रीब्यूटर दोनों को सूचित करना जरूरी है, क्योंकि बीमा की प्रोसेस रिपोर्ट के आधार पर ही चलती है. अगर यह कदम सही तरीके से पूरे हों तो क्लेम मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है.

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