Land Mobile App:  सामान्य तौर पर अगर आपको अपने खेत और जमीन देखनी है तो वहां ही जाना होता है. लेकिन अब यूपी में यह सब बिना कहीं जाए ही हो जाएगा. अपने गांव की जमीन, खेत और घर की सटीक लोकेशन मोबाइल पर ही देख सकेंगे. राजस्व परिषद एक ऐसा मोबाइल ऐप ला रही है जो जमीन से जुड़े कामों को पहले से कहीं आसान बना देगा. ऐप की टेस्टिंग चल रही है और इसे अगले महीने लॉन्च करने की तैयारी हो चुकी है. इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समय भी मांगा गया है. 

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इस कदम का मकसद लोगों को सीधी सुविधा देना और राजस्व दफ्तरों के चक्कर कम कराना है. परिषद पहले से ही आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र जैसे कामों को ऑनलाइन शिफ्ट कर चुकी है. अब जमीन से जुड़े रिकॉर्ड डिजिटल रूप में मिलने लगेंगे. ऐसे में नागरिकों को न तो लंबी लाइनें लगानी होंगी और न ही किसी तरह की देरी की चिंता रहेगी.

मोबाइल पर खेत और जमीन की तस्वीर कैसे दिखाई देगी?

राजस्व परिषद डिजिटल सिस्टम को और मजबूत करने के लिए सेटेलाइट मैपिंग का इस्तेमाल कर रही है. घरों और खेतों के सटीक नक्शे तैयार करवाए जा रहे हैं. जैसे ही यह प्रोसेस पूरी तरह तैयार होगी. ऐप में सिर्फ अपनी गाटा संख्या, खतौनी नंबर या खसरा नंबर डालकर कोई भी व्यक्ति अपने खेत या घर की तस्वीर देख सकेगा. यह सुविधा गांव, मोहल्ले, खेतों और रकबे तक की पूरी जानकारी दिखाएगी. 

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प्रदेश में 57 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतें और एक लाख से ज्यादा राजस्व ग्राम हैं. इसलिए यह डिजिटल मैपिंग राज्य के लिए बड़ा बदलाव साबित होगी. अभी तक कई कामों के लिए लेखपाल या राजस्व कर्मियों पर डिपेंडेंट रहना पड़ता था. लेकिन ऐप आने के बाद यह सारी जानकारी सीधे फोन पर मिलेगी.

जमीन से जुड़े विवादों में कैसे मदद करेगा यह ऐप

इस ऐप का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इससे जमीन से जुड़े विवाद काफी हद तक कम हो जाएंगे. कई बार रिकॉर्ड सही न मिलने या नक्शों में कंप्यूजन की वजह से परेशानी होती है. मोबाइल ऐप पर मौजूद सेटेलाइट बेस्ड नक्शों में हर खेत और घर का रकबा साफ दिखेगा.

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इससे गलतफहमी की पाॅसिबिलिटी घटेगी और विवादों का समाधान तेज होगा. परिषद के अध्यक्ष अनिल कुमार के मुताबिक ऐप का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसे मार्डन तरीके से तैयार किया गया है. जिससे लोगों को भरोसेमंद डेटा मिल सके. ऑनलाइन मैपिंग और डिजिटल रिकॉर्ड मिल जाने से पारदर्शिता बढ़ेगी और लोगों का वक्त भी बचेगा. 

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