बहुत से लोगों के पास अपना घर नहीं होता है या फिर काम के सिलसिले में उनको कहीं बाहर किराए पर घर लेकर रहना पड़ता है. ऐसे में अक्सर किराए के मकानों में रहने वाले लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अगर वे समय पर किराया न दे पाएं और एक महीने की देरी हो जाए, तो क्या मकान मालिक उन्हें तुरंत घर खाली करने के लिए मजबूर कर सकता है? यह स्थिति काफी आम है और दोनों पक्षों के अधिकार व जिम्मेदारियां कानून द्वारा तय किए गए हैं. चलिए उनके बारे में अच्छे से समझते हैं.
क्या कहता है कानून?
कानून के अनुसार, अगर कोई किराएदार एक महीने से ज्यादा समय तक किराया नहीं देता है, तो मकान मालिक उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. लेकिन यह प्रक्रिया सीधी नहीं है, यानि मकान मालिक सीधे किराएदार को घर से नहीं निकाल सकता है. इसके लिए सबसे पहले मकान मालिक को किराएदार को लिखित में नोटिस देना होता है. इस नोटिस में बकाया किराया और जगह खाली करने की मांग का स्पष्ट उल्लेख किया जाता है.
आमतौर पर किराएदार को नोटिस मिलने के बाद 15 से 30 दिन का समय दिया जाता है, ताकि वह किराया चुका सके या मकान खाली कर सके.
नोटिस के बाद क्या है मकान मालिक की जिम्मेदारी
अगर नोटिस के बाद भी किराएदार अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता और न ही कमरा खाली करता है, तो मकान मालिक को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है. कोर्ट में बेदखली का मुकदमा दायर करने के बाद ही कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ती है. सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट यदि मकान मालिक के पक्ष में फैसला देता है, तो बेदखली का आदेश जारी किया जाता है. इसके बाद किराएदार को मजबूरी में जगह खाली करनी पड़ती है.
जबरन घर से नहीं निकाल सकते
यहां एक बात साफ है कि मकान मालिक सीधे किराएदार को जबरन घर से नहीं निकाल सकता है. अगर वह ऐसा करता है, तो यह अवैध माना जाएगा और किराएदार पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है. इसलिए मकान मालिक को हर हाल में कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी होता है.
किराएदारों के लिए अधिकार
वहीं किराएदारों के लिए भी कुछ बातें जानना जरूरी होता है. सबसे पहले तो किराए के लिए रेंट एग्रीमेंट में किराया जमा करने की तारीख और शर्तें स्पष्ट लिखी होनी चाहिए. अगर किसी कारणवश किराया समय पर न दे पाएं, तो मकान मालिक को सूचना देकर जल्द से जल्द बकाया चुकाना समझदारी है. इससे अनावश्यक विवाद और कानूनी झंझट से बचा जा सकता है.
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