आज के दौर में, गाड़ी, महंगे मोबाइल समेत अन्य कीमती सामान को किश्तों पर खरीदना आम बात है. लोग बैंक से भी लोन लेकर अपने जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. बैंक लोन देने से पहले व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री, आय सोर्स और रीपेमेंट कैपेसिटी को ध्यान में रखकर लोन देती है ताकि जिम्मेदार व्यक्ति लोन के किश्तों को समय पर भर सके. लेकिन ऐसे में लोन लेने वाले व्यक्ति की लोन रिपेमेंट अवधि के बीच मौत हो जाती है तो तमाम तरह के सवाल उठते हैं कि लोन की जिम्मेदारी कौन लेगा.
जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो वह एक कानूनी अनुबंध करता है कि वह तय समय तक लोन की राशि के साथ ब्याज चुका देगा. लेकिन अगर किसी कारणवश लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है, तो सवाल उठता है कि अब लोन का भुगतान कौन करेगा? क्या बैंक लोन माफ कर देता है? क्या परिवार पर बोझ आता है? यहां हम इस स्थिति को विस्तार से समझते हैं.
लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत के बाद कौन चुकता है लोन
अगर लोन लेने वाले की मौत हो उस टाइम पीरियड के बीच हो जाती है तो, लोन को चुकाने की जिम्मेदारी परिवार के किसी भी सदस्यों पर नहीं होती है. बैंक सबसे पहले ये सुनिश्चित करता है कि लोन लेने के समय गारंटर या को-एप्लीकेंट कौन था. इसके बाद ही बैंक उसके गारंटर या को-एप्लीकेंट से संपर्क करता है.
क्या है बैंक का नियम और कानून
अगर लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो संबंधित बैंक सबसे पहले को-एप्लीकेंट से संपर्क करता है. अक्सर को-एप्लीकेंट का नाम होम लोन, एजुकेशन लोन या जॉइंट लोन में दर्ज होता है. वहीं अगर को-एप्लीकेंट लोन नहीं चुका पता है तो बैंक इसके बाद गारंटर से संपर्क करता है. इसके बाद अगर गारंटर भी लोन चुकाने में असमर्थ होता है तो बैंक संपत्ति को नीलाम करके लोन की वसूली कर लेता है. लोन लेने वाले व्यक्ति ने अगर लोन इंश्योरेंस लिए हुआ है तो बीमा कंपनी किश्तों का भुगतान करती है.
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