देश के कई राज्यों में इन दिनों मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी विशेष ग्रहण पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है. इसे लेकर मतदाताओं से वेरिफिकेशन के लिए फॉर्म भरवाए जा रहे हैं. इस बीच इस प्रक्रिया का फायदा उठाकर से साइबर ठगों की तरफ से लोगों को अपने जाल में फंसाने के मामले सामने आ रहे हैं.
साइबर ठग खुद को चुनाव आयोग या बीएलओ का कर्मचारी बात कर कॉल और मैसेज के जरिए लोगों से जानकारी मांग रहे हैं. कई मामलों में तो साइबर ठग ओटीपी पूछकर बैंक खातों का एक्सेस ले रहे हैं या फिर लोगों से फर्जी एपीके फाइल डाउनलोड करवाकर फोन का डाटा चुरा रहे हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि SIR फॉर्म के नाम पर हो रही थी साइबर ठगी से आप कैसे बच सकते हैं.
अधिकारियों ने जारी की चेतावनी
SIR को लेकर हो रही साइबर ठगी के मामले में अधिकारियों ने एडवाइजरी जारी कर बताया कि साइबर अपराधी SIR प्रक्रिया के नाम पर लोगों को ठगने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं इस एडवाइजरी में साफ लिखा है कि मतदाताओं को किसी भी हालत में ओटीपी या पर्सनल डिटेल्स किसी अनजान कॉलर को नहीं देनी चाहिए. दरअसल SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चुनाव आयोग की वह प्रक्रिया है जिसके तहत घर-घर जाकर वोटर लिस्ट अपडेट की जा रही है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर योग्य मतदाता का नाम सही तरह से शामिल हो और फर्जी या दोहराए गए नाम हटाए जा सके. यह पूरी प्रक्रिया बीएलओ के जरिए की जाती है न कि कॉल या ऑनलाइन लिंक के जरिए.
SIR के नाम पर कैसे हो रहा है स्कैम?
दरअसल, SIR को लेकर साइबर ठग चुनाव आयोग के नाम पर लोगों को कॉल करते हैं और कहते हैं कि आपका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है, इसलिए फॉर्म भरना जरूरी है. इसके बाद वह ओटीपी मांगते हैं फिर फर्जी लिंक भेजते हैं. वहीं साइबर ठग आम लोगों से SIR एपीके जैसी फाइल डाउनलोड करवाते हैं इन फाइलों के इंस्टॉल होते ही मोबाइल का एक्सेस स्कैमर के पास चला जाता है जिससे वह बैंकिंग ऐप, यूपीआई और फोन का डाटा चुरा लेते हैं.
कैसे बचें SIR वाली ठगी से?
SIR के नाम पर हो रही ठगी से बचने के लिए कोशिश करें कि आप ओटीपी किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ शेयर न करें. इसके अलावा SIR से जुड़ा कोई ऐप या एपीके फाइल डाउनलोड न करें. वहीं बीएलओं के अलावा किसी पर भरोसा न करें. साथ ही किसी भी कॉल, मैसेज या लिंक का पहले वेरिफिकेशन करें. इसे लेकर निर्वाचन आयोग ने भी यह भी स्पष्ट किया है कि न TRAI, न बैंक और न ही कोई सरकारी विभाग TRAI से जुड़े एसएमएस भेजता है.
अगर ठगी हो तो क्या करें?
अगर आपको लगता है कि किसी ने TRAI के नाम पर आपसे ठगी की है तो तुरंत अपने बैंक या यूपीआई सर्विस को ब्लॉक कराएं. वहीं फोन से फर्जी ऐप अनइनस्टॉल करें और सभी पासवर्ड बदलें. इसके अलावा साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें और cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.
ये भी पढ़ें-बिहार से गुजरने वाली ये ट्रेनें कैंसिल, अगर बुक कर चुके हैं टिकट तो देख लें लिस्ट