आज के समय में चेक बाउंस होना एक बड़ी समस्या बन गया है. रोजाना हजारों लोग इस स्थिति का सामना करते हैं, जहां किसी को पैसे मिलने बाकी होते हैं, लेकिन बैंक चेक को अस्वीकार कर देता है. इससे पीड़ित को कई बार आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ता है. चेक बाउंस होने के बाद आरोपी पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. भारतीय कानून में इस तरह के मामलों को गंभीर अपराध माना गया है और इसके लिए परक्राम्य लिखित अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत के केस दर्ज किया जा सकता है. ऐसे में चलिए आज आपको बताते हैं कि चेक बाउंस होने पर आप कहां शिकायत कर सकते हैं और कितने दिन में इसे लेकर सुनवाई होती है.
पुलिस में नहीं कोर्ट में दर्ज होती है शिकायत
चेक बाउंस होने के मामले में सीधे पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती. अगर यह मामला सिविल क्रिमिनल प्रवृत्ति का होता है, केवल तभी पुलिस इस मामले में केस दर्ज कर सकती है. साथ ही इस मामले में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश का एंगल होने पर ही पुलिस एफआईआर दर्ज करती है. सामान्य स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को मजिस्ट्रेट कोर्ट में ही शिकायत दर्ज करनी होती है. चेक बाउंस होने के केस में शिकायतकर्ता अपनी मर्जी से किसी भी शहर में केस दर्ज नहीं कर सकता है. इस मामले में केस दर्ज करने का अधिकार उसी जगह होता है, जहां चेक बाउंस हुआ है या जहां चेक जारी करने वाले का बैंक खाता मौजूद है.
चेक बाउंस होने पर शिकायत की क्या है कानूनी प्रक्रिया
भारत में चेक बाउंस होने के मामलों में कानूनी प्रक्रिया बहुत स्पष्ट है. इसके लिए कानून में तय सीमा भी निर्धारित की गई है. अगर किसी का चेक बाउंस होता है तो सबसे पहले 15 दिनों के भीतर आरोपी को कानूनी नोटिस भेजना जरूरी होता है. इस नोटिस में स्पष्ट रूप से पैसे चुकाने की मांग की जाती है. वहीं अगर आरोपी नोटिस मिलने के 30 दिनों के अंदर भुगतान नहीं करता तो मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है. केस दर्ज होने के बाद अदालत आरोपी को समन जारी करती ह, अगर आरोपी अदालत में पेश नहीं होता तो गिरफ्तारी का वारंट भी जारी किया जा सकता है.
कितने दिनों में पूरी होती है सुनवाई
नियमों के अनुसार नोटिस भेजने के बाद आरोपी को कुछ दिनों का समय दिया जाता है. इस समय में अगर वह भुगतान नहीं करता तो शिकायतकर्ता केस दर्ज कर सकता है. केस दर्ज होते ही अदालत में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. हालांकि अदालत में लंबित मामले और कानूनी प्रक्रिया की वजह से यह सुनवाई समय ले सकती है. वहीं आमतौर पर ऐसे मामलों को जल्दी निपटाने की कोशिश की जाती है, क्योंकि इसमें सीधे आर्थिक नुकसान का मामला जुड़ा होता है. दोषी पाए जाने पर आरोपी को 2 साल तक की जेल, चेक राशि के दुगने तक का जुर्माना या दोनों सजा मिल सकती है.
चेक बाउंस मामलों में वकील की भूमिका अहम
चेक बाउंस मामलों में वकील की भूमिका बहुत अहम मानी जाती है, वकील न केवल सही समय पर नोटिस भेजता है, बल्कि अदालत में केस को मजबूती से पेश करने की जिम्मेदारी भी उसी की होती है. वह सबूत जुटाने से लेकर आरोपी को दोषी साबित करने तक पूरी प्रक्रिया में मदद करता है. साथ ही वकील यह भी सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को उसका पैसा जल्द वापस मिले. वहीं चेक बाउंस केस दर्ज करते समय कुछ अहम दस्तावेज जरूरी माने जाते हैं जिनमें चेक की कॉपी, बैंक बाउंस मेमो, आरोपी को भेजा गया कानूनी नोटिस और नोटिस भेजने का सबूत आदि दस्तावेज भी दर्ज करना जरूरी होता है.
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