Enemies Of Turkey: कौन-कौन से देश हैं तुर्किए के दुश्मन, जिनसे दोस्ती मजबूत करने में जुटा भारत?
Enemies Of Turkey: आज तुर्किए के उन दुश्मन देश के बारे में जानते हैं, जिनसे भारत लगातार अपनी दोस्ती मजबूत कर रहा है. चलिए जानें कि कैसे भारत ने उन देशों के साथ अपने रिश्ते किस तरह से गहरे किए.

Enemies Of Turkey: अंतरराष्ट्रीय राजनीति में दोस्ती और दुश्मनी हमेशा बदलती रहती है. हाल के वर्षों में भारत ने अपने कूटनीतिक कदम इस तरह बढ़ाए हैं कि वह उन देशों के करीब आता दिख रहा है, जिनका रिश्ता तुर्किए से तनावपूर्ण है. तुर्किए अक्सर पाकिस्तान के साथ खड़ा होकर भारत विरोधी बयान देता रहा है, ऐसे में भारत ने अपने हित साधने के लिए रणनीतिक तौर पर उन देशों से सहयोग मजबूत करना शुरू किया है, जिन्हें तुर्किए लंबे समय से विरोधी मानता है. चलिए थोड़ा विस्तार में समझें.
ग्रीस से बढ़ता सहयोग
ग्रीस और तुर्किए के बीच दशकों से समुद्री सीमाओं और द्वीपों को लेकर विवाद चल रहा है. भारत ने हाल के वर्षों में ग्रीस के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाया है. दोनों देशों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास किए हैं और समुद्री सुरक्षा में पार्टनरशिप को नए स्तर पर ले जाने की कवायद की है. इसके अलावा, भारत-ग्रीस संबंध अब स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप तक पहुंच चुके हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के नए अवसर भी खुले हैं.
साइप्रस के साथ जुड़ाव
साइप्रस और तुर्किए के बीच नॉर्दर्न साइप्रस को लेकर लंबे समय से विवाद है. कुछ समय पहले ही पीएम मोदी साइप्रस गए थे. भारत ने साइप्रस के साथ आर्थिक और रक्षा साझेदारी बढ़ाई है. हाल ही में दोनों देशों ने साइबर सुरक्षा और समुद्री सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर समझौते किए हैं. भारत साइप्रस को यूरोपीय यूनियन में अपने सहयोगी के रूप में देखता है, जिससे उसकी यूरोप में रणनीतिक स्थिति मजबूत होती है.
आर्मेनिया में भारत की दिलचस्पी
आर्मेनिया और तुर्किए के बीच ऐतिहासिक तनाव जगजाहिर है. आर्मेनिया ने नागोर्नो-काराबाख युद्ध में भी तुर्किए और अजरबैजान के खिलाफ आवाज उठाई थी. भारत ने आर्मेनिया को हथियार और सैन्य तकनीक उपलब्ध करवाई है. हाल के समझौतों से यह साफ है कि भारत इस क्षेत्र में अपनी सैन्य और राजनीतिक मौजूदगी मजबूत करना चाहता है.
ईरान के साथ भी तनावपूर्ण रिश्ते
तुर्किए और ईरान के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं. असली खटास तब गहरी हुई जब अमेरिका ने सीरिया और इराक में आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई शुरू की और तुर्किए ने उसे समर्थन दिया. इसके बाद तुर्की को आईएसआईएस के आत्मघाती हमलों का सीधा सामना करना पड़ा, साथ ही, लाखों सीरियाई शरणार्थियों के पहुंचने से वहां सामाजिक और आर्थिक संकट बढ़ गया. दूसरी ओर, ईरान और तुर्किए दोनों ही क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग में आमने-सामने हैं. इसीलिए इन दोनों देशों के रिश्ते अक्सर अविश्वास और प्रतिस्पर्धा से भरे रहते हैं. वहीं भारत के साथ तो ईरान के संबंध सालों पुरानें हैं, जो कि संस्कृति, व्यापार और भू-राजनीति में फैले हुए हैं.
भारत की रणनीतिक चाल
भारत की यह रणनीति केवल तुर्किए को जवाब देने भर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बड़े भू-राजनीतिक परिदृश्य का हिस्सा है. भूमध्य सागर और पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति मजबूत कर भारत व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा हितों को साधना चाहता है. इसके अलावा भारत का यह कदम तुर्किए-पाकिस्तान गठजोड़ के खिलाफ एक संतुलन भी पैदा करता है.
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Source: IOCL























